नई दिल्ली(एजेंसी): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स (ICC) के सत्र को संबोधित कर रहे हैं. पीएम ने कहा कि 95 वर्ष से निरंतर देश की सेवा करना, किसी भी संस्था या संगठन के लिए अपने आप में बहुत बड़ी बात होती है. आईसीसी ने पूर्वी भारत और उत्तर पूर्व के विकास में जो योगदान दिया है, विशेषकर वहां की मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट्स को, वो भी ऐतिहासक है.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आईसीसी ने 1925 में अपने गठन के बाद से आज़ादी की लड़ाई को देखा है, भीषण अकाल और अन्न संकटों को देखा है और भारत की विकास पथ का भी आप हिस्सा रहे हैं. अब इस बार की ये एजीएम एक ऐसे समय में हो रही है, जब हमारा देश मल्टीपल चैलेंजेस को चैलेंज कर रहा है. कोरोना वायरस का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा कि कोरोना वायरस से पूरी दुनिया लड़ रही है, भारत भी लड़ रहा है लेकिन अन्य तरह के संकट भी निरंतर खड़े हो रहे हैं. कहीं बाढ़ की चुनौती, कहीं लॉकस्ट, ‘पोंगोपाल’ का कहर, कहीं ओलावृष्टि, कहीं असाम ऑयल फिल्ड में आग, कहीं छोटे-छोटे भूकंप.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बोले कि कभी-कभी समय भी हमें परखता है, हमारी परीक्षा लेता है. कई बार अनेक कठिनाइयां, अनेक कसौटियां एक साथ आती हैं. लेकिन हमने ये भी अनुभव किया है कि इस तरह की कसौटी में हमारा कृतित्व, उज्ज्वल भविष्य की गारंटी भी लेकर आता है. हमारे यहां कहा जाता है- मन के हारे हार, मन के जीते जीत, यानि हमारी संकल्पशक्ति, हमारी इच्छाशक्ति ही हमारा आगे का मार्ग तय करती है. जो पहले ही हार मान लेता है उसके सामने नए अवसर कम ही आते हैं. ये हमारी एकजुटता, ये एक साथ मिलकर बड़ी से बड़ी आपदा का सामना करना, ये हमारी संकल्पशक्ति, ये हमारी इच्छाशक्ति, हमारी बहुत बड़ी ताकत है, एक राष्ट्र के रूप में हमारी बहुत बड़ी ताकत है. मुसीबत की दवाई मजबूती है. यही भावना मैं आज आपके चेहरे पर देख सकता हूं, करोड़ों देशवासियों के प्रयासों में देख सकता हूं. कोरोना का संकट पूरी दुनिया में बना हुआ है। पूरी दुनिया इससे लड़ रही है. कॉरोना वॉरियर्स के साथ हमारा देश इससे लड़ रहा है. लेकिन इन सबके बीच हर देशवासी अब इस संकल्प से भी भरा हुआ है कि इस आपदा को अवसर में परिवर्तित करना है, इसे हमें देश का बहुत बड़ा टर्निंग प्वाइंट भी बनाना है.
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पीएम मोदी ने कहा कि आत्म निर्भर भारत, स्व विश्वसनीय भारत. आत्मनिर्भरता का ये भाव बरसों से हर भारतीय ने एक आकांक्षा की तरह जिया है.लेकिन फिर भी एक बड़ा काश, एक बड़ा काश, हर भारतीय के मन में रहा है, मस्तिष्क में रहा है. उन्होंने कहा कि एक बहुत बड़ी वजह रही है कि बीते 5-6 वर्षों में, देश की नीति और रीति में भारत की आत्मनिर्भरता का लक्ष्य सर्वोपरि रहा है. अब कोरोना क्राइसिस ने हमें इसकी गति और तेज करने का सबक दिया है. इसी सबक से निकला है- आत्मनिर्भर भारत अभियान. हर वो चीज, जिसे इंपोर्ट करने के लिए देश मजबूर हैं, वो भारत में ही कैसे बने, भविष्य में उन्हीं प्रोडक्ट्स का भारत एक्सपोर्टर कैसे बने, इस दिशा में हमें और तेजी से काम करना है. हम इन छोटे-छोटे व्यापार करने वाले लोगों से केवल चीज ही नहीं खरीदते, पैसे ही नहीं देते, उनके परिश्रम को पुरुस्कृत करते हैं, मान-सम्मान बढ़ाते हैं,हमें इस बात का अंदाजा भी नहीं होता कि इससे उनके दिल पर कितना प्रभाव पड़ता है, वो कितना गर्व महसूस करते हैं. किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए जो निर्णय हाल में हुए हैं, उन्होंने एग्रीकल्चर इकोनॉमी को बरसों की गुलामी से मुक्त कर दिया है. अब भारत के किसानों को अपने उत्पाद, अपनी उपज देश में कहीं पर भी बेचने की आज़ादी मिल गई है.
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लोकल उत्पादों के लिए जिस क्लस्टर बेस्ड अप्रोच को अब भारत में बढ़ावा दिया जा रहा है, उसमें भी सभी के लिए अवसर ही अवसर है. जिन जिलों, जिन ब्लॉक्स में जो पैदा होता है, वहीं आसपास इनसे जुड़े क्लस्टर विकसित किए जाएंगे. इसके साथ ही बाम्बू और ऑर्गेनिक के लिए भी क्लस्टर्स बनेंगे. सिक्किम की तरह पूरा नॉर्थ ईस्ट, ऑर्गैनिक खेती के लिए बहुत बड़ा हब बन सकता है. ऑर्गैनिक कैपिटल बन सकता है. आप सभी नॉर्थ ईस्ट, पूर्वी भारत में इतने दशकों से काम कर रहे हैं. सरकार ने जो तमाम कदम उठाए हैं, इनका बहुत बड़ा लाभ पूर्व और उत्तर पूर्व के लोगों को होगा.मैं समझता हूं कि कोलकाता भी खुद फिर से एक बहुत बड़ा लीडर बन सकता है.
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मैन्यूफेक्चरिंग में बंगाल की ऐतिहासिक श्रेष्ठता को हमें पुनर्जीवित करना होगा. हम हमेशा सुनते आए हैं “What Bengal thinks today, India Thinks Tomorrow” हमें इससे प्रेरणा लेते हुए आगे बढ़ना होगा. एक दिन पहले पीएम मोदी ने केदारनाथ धाम विकास और पुनर्निर्माण परियोजना की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उत्तराखंड सरकार के साथ समीक्षा की थी. इस तीर्थस्थल के पुनर्निर्माण की अपनी परिकल्पना के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार को केदारनाथ और बद्रीनाथ जैसे पवित्र स्थलों के लिए विकास परियोजनाओं की संकल्पना के साथ उसका डिजाइन इस प्रकार तैयार करना चाहिए जो समय की कसौटी पर खरा उतरे.
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