नई दिल्ली (एजेंसी). जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) और लद्दाख (Ladakh) आज से देश के दो नए केंद्र शासित राज्य बन गए. इस बदलाव के साथ में भारत में अब कुल 28 राज्य और नौ केंद्र शासित प्रदेश हो गए हैं. केंद्र शासित प्रदेश बनते ही अब जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में केंद्र की सभी योजनाएं लागू की जा सकेंगी. अब इन जगहों पर रनबीर पेनल कोड की जगह आईपीसी (IPC) और सीआरपीसी (CRPC) की धाराएं काम करेंगी.
केंद्र सरकार ने ये भी साफ कर दिया है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख क्षेत्र में जो मौजूदा साढ़े तीन लाख सरकारी कर्मचारी काम कर रहे हैं, वो आने वाले कुछ महीनों तक मौजूदा व्यवस्था के तहत ही अपने-अपने इलाकों में काम करते रहेंगे. केंद्र सरकार के मुताबिक दोनों नए केंद्र शासित राज्यों में बदलाव की ये प्रक्रिया बेहद सादगी भरे समारोह में होगी.
बेहद सादगी भरे समारोह के तहत आज लेह में लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश के पहले उप-राज्यपाल राधा कृष्ण माथुर ने शपथ ग्रहण कर ली. वहीं, श्रीनगर में जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के पहले उप-राज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू ने अपना पदभार संभाल लिया. जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में अब सभी सरकारी कामकाज उर्दू के बजाय हिंदी में होगा.
- पुलिस व्यवस्था-जम्मू कश्मीर में डीजीपी का मौजूदा पद कायम रहेगा, जबकि लद्दाख में इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस वहां के पुलिस का मुखिया होगा. दोनों ही केंद्र शासित राज्यों की पुलिस केंद्र सरकार के निर्देश पर काम करेगी.
- हाईकोर्ट-फिलहाल जम्मू-कश्मीर की श्रीनगर और जम्मू बेंच मौजूदा व्यवस्था के अंतर्गत काम करेंगी और लद्दाख के मामलों की सुनवाई भी अभी की तरह ही होगी. चंडीगढ़ की तर्ज पर इसे लागू करने का फैसला लिया गया है.
- केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की तैनाती-आने वाले दिनों में भी इन दोनों केंद्र शासित राज्यों में केंद्र सरकार के निर्देश पर ही केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती होगी. जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में फिलहाल जो आयोग काम कर रहे थे, अब उनकी जगह सरकार के आयोग काम करेंगे.
- विधायिका का कामकाज-दोनों केंद्र शासित राज्यों में एलजी की भूमिका प्रमुख होगी और उन्हीं की अनुमति से महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाएंगे.
- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित राज्य बन जाने के बाद पुलिस और कानून-व्यवस्था केंद्र सरकार के अधीन हो जाएगी. राज्य में भूमि व्यववस्था की देखरेख का जिम्मा निर्वाचित सरकार के तहत ही किया जाएगा. इसी के साथ जम्मू-कश्मीर में सरकारी कामकाज की भाषा अब उर्दू नहीं हिंदी हो जाएगी.
- नए जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 107 सदस्य हैं, जिनकी परिसीमन के बाद संख्या बढ़कर 114 तक हो जाएगी. वहीं, विधायिका में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के लिए पहले की तरह ही 24 सीट रिक्त रखी जाएंगी.
- केंद्र सरकार जल्द ही इन दोनों केंद्र शासित राज्यों के सरकारी कर्मचारियों से उनके काम करने के प्राथमिकता की जगह पूछेगी. फिर आने वाले दिनों में उस हिसाब से तैनाती की जाएगी.
- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लिए गृह मंत्रालय ने संयुक्त सचिव के स्तर के एक नए अधिकारी की तैनाती की मांग की है. साथ ही गृह मंत्रालय में पहली बार जम्मू-कश्मीर के अलावा लद्दाख सेक्शन भी खोला गया है.
- सरकार की योजना के मुताबिक लद्दाख डिवीजन के विकास के लिए केंद्र सरकार जल्दी एक बड़े पैकेज की घोषणा करने जा रही है और उससे पहले लद्दाख डिवीजन में गवर्नर के दो एडवाइजर भी नियुक्त किए जाएंगे.
- नई व्यवस्था के तहत आने वाले दिनों में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लिए यूनियन टेरिटरी के अफसर तैनात किए जाएंगे यानी कुल मिलाकर अब यूटी कैडर के अधिकारी लद्दाख से लेकर अंडमान तक तैनात होंगे दिल्ली भी उनमें एक होगा, लेकिन इस योजना के 2020 तक पूरा होने की उम्मीद है.