आज आएंगे देश की जीडीपी के आंकड़े, वित्त वर्ष 2019-20 में आर्थिक विकास दर में भारी गिरावट का अनुमान

नई दिल्ली(एजेंसी): आज वित्त वर्ष 2019-20 की आखिरी तिमाही यानी जनवरी-मार्च तिमाही के जीडीपी के आंकड़े आएंगे. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय यानी नेशनल स्टेटेस्टिकल ऑफिस (एनएसओ) जीडीपी के आंकड़े जारी करेगा.जनवरी-मार्च तिमाही में देश की जीडीपी दर 1.2 फीसदी रहने का अनुमान है. वहीं पूरे वित्त वर्ष यानी 2019-20 की बात की जाए तो ये 4.2 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है.

एसबीआई इकोरैप रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस संकट के कारण देश की अर्थव्यवस्था को भारी झटका लगने की आशंका है. देश की अर्थव्यवस्था को 1.4 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होने की संभावना है.

देश की जीडीपी की विकास दर बीते वित्त वर्ष 2019-20 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में 3.6 फीसदी रहेगी. केयर रेटिंग्स की रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है. रेटिंग एजेंसी केयर रेटिंग्स की रिपोर्ट में कहा गया है , ‘हमारा अनुमान है कि चौथी तिमाही में विकास दर 3.6 फीसदी रहेगी. पूरे वित्त वर्ष में विकास दर 4.7 फीसदी रहने का अनुमान है.’

रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए लागू देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से आर्थिक गतिविधियों पर बेहद बुरा असर पड़ा है, जिसका असर जीडीपी की विकास दर पर भी पड़ेगा.

केयर रेटिंग्स ने कहा कि 3.6 फीसदी की विकास दर जीडीपी की नई सीरीज में सबसे कम होगी. बीते वित्त वर्ष की पहली तीन तिमाहियों में विकास दर क्रमशः 5.1 फीसदी, 5.6 फीसदी और 4.7 फीसदी थी. हाल में एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट इकोरैप में चौथी तिमाही में जीडीपी की विकास दर 1.2 फीसदी और पूरे वित्त वर्ष के लिए 4.2 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है.

रिपोर्ट में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि चौथी तिमाही के आंकड़े ध्यान देने वाले होंगे, क्योंकि इसमें एक हफ्ते की लॉकडाउन अवधि भी शामिल है. इससे विकास दर पर बड़ा असर देखा जाएगा.

रेटिंग एजेंसी ने कहा कि कई कंपनियां वित्त वर्ष के आखिर में अपने लक्ष्यों को पाने के लिए अपनी गतिविधियां बढ़ाती हैं. इससे विकास दर के आंकड़ों को मदद मिलती है. लेकिन इस बार भारत के मामले में मार्च के आखिरी हफ्ते में कई तरह के बैन लगाए गए जिसकी वजह से विकास दर घटेगी. खासतौर से सर्विसेज के मामले में काफी ज्यादा गिरावट देखने को मिली है और सर्विस सेक्टर का देश की जीडीपी में अहम योगदान है.

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