अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी ने हुरियत कान्फ्रेंस से दिया इस्तीफा, कहा- मौजूदा हालात सही नहीं

जम्मू: अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी ने हुर्रियत कांफ्रेंस ने खुद को अलग कर लिया है. गिलानी ने एक ऑडियो मैसेज में कहा कि हुर्रियत कांफ्रेंस के मौजूदा हालात को देखते हुए इस्तीफा देने का फैसला किया है. दरअसल, कश्मीर में धारा-370 खत्म किए जाने के बाद से सियासी हालात लगातार बदल रहे हैं, तब से अलगाववादी खेमे की सियासत का ये सबसे बड़ा घटनाक्रम है.

गिलानी ने कहा, ‘हुरियत कान्फ्रेंस के मौजूदा हालात को देखते हुए मैंनेअलग होने का फैसला किया है. फैसले के बारे में हुरियत के सारे लोगों को चिट्ठी लिखकर कर जानकारी दे दी गई है.’

सैयद अली शाह गिलानी हमेशा विवादों में रहे हैं. पिछले साल अप्रैल में उनके खिलाफ आयकर विभाग ने बड़ी कार्रवाई की थी. आरोप है कि 1996-97 और 2001-02 के बीच उन्होंने कोई टैक्स नहीं दिया. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के मुताबिक उनपर 3.62 करोड़ का टैक्स बकाया था. ईडी भी उनपर जुर्माना लगा चुका है. इसके अलावा गिलानी पर अवैध तरीके से विदेशी मुद्रा रखने का आरोप भी लग चुका है.

90 साल के गिलानी की तबीयत अक्सर खराब रहती है. फरवरी में गिलानी की तबीयत बिगड़ने की अफवाहों को लेकर घाटी में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी करते हुए अलर्ट जारी किया गया था. ऑल पार्टीज हुरियत कान्फ्रेंस ने मुजफ्फराबाद (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर) से एक बयान जारी करते हुए कहा था कि अगर गिलानी अंतिम सांस लेते हैं तो सभी इमाम समेत लोग श्रीनगर स्थित ईदगाह में एकत्र हों. हुर्रियत ने दो पेजों के बयान में घोषणा करते हुए कहा था कि गिलानी (90) की इच्छा के अनुसार उनको श्रीनगर ईदगाह स्थित मजारे शुहदा में दफनाया जाए.

हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का गठन 9 मार्च, 1993 को कश्मीर में अलगाववादी दलों के एकजुट राजनीतिक मंच के रूप में किया गया था. हुर्रियत कांफ्रेंस कश्मीर में एक्टिव सभी छोटे बड़े अलगाववादी संगठनों का एक मंच है. इसका गठन कश्मीर में जारी आतंकी हिंसा और अलगाववादियों की सियासत को एक मंच देने के उद्देश्य से किया गया था.

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