रायपुर: वैश्विक महामारी कोविड-19 के संक्रमण से बचाव के लिए देश में लागू लॉकडाउन के दौर में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बचाने और ग्रामीणों की आजीविका को संरक्षित करने के लिए राज्य शासन व्यापक स्तर पर काम कर रहा है. लॉकडाउन में मनरेगा के अंतर्गत ग्रामीणों को रोजगार देने में छत्तीसगढ़ अभी पूरे देश में पहले स्थान पर है.
देशभर में मनरेगा के काम में लगे कुल मजदूरों में से करीब 24 फीसदी अकेले छत्तीसगढ़ से हैं. यह संख्या देश में सर्वाधिक है. प्रदेश की 9883 ग्राम पंचायतों में चल रहे विभिन्न मनरेगा कार्यों में अभी 18 लाख 51 हजार 536 श्रमिक काम कर रहे हैं.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टी.एस. सिंहदेव ने इस कठिन दौर में भी मनरेगा के बेहतरीन क्रियान्वयन के लिए सरपंचों की सक्रियता और तत्परता की सराहना की है. उन्होंने इस उत्कृष्ट कार्य के लिए सरपंचों के साथ ही मनरेगा की राज्य इकाई तथा जिला एवं जनपद पंचायतों की टीम को बधाई दी है.
उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे की चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के बीच यह बड़ी उपलब्धि है. प्रदेश भर में इन सबकी मिली-जुली कोशिशों से कार्यस्थल पर परस्पर शारीरिक दूरी बनाकर, मुंह ढंककर और स्वच्छता मानकों के साथ मनरेगा कार्यों के जरिए श्रमिक परिवारों को राहत पहुंचाई जा रही है.
केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार मनरेगा कार्यों में अभी पूरे देश में 77 लाख 85 हजार 990 मजदूर संलग्न हैं. इनमें सर्वाधिक 18 लाख 51 हजार 536 मजदूर अकेले छत्तीसगढ़ से हैं, जो कुल मजदूरों की संख्या का करीब एक चौथाई है. इस सूची में 14 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ राजस्थान दूसरे और 12 प्रतिशत भागीदारी के साथ उत्तर प्रदेश तीसरे स्थान पर है.
देशव्यापी लॉकडाउन के बावजूद मौजूदा वित्तीय वर्ष में भी पिछले वर्ष की ही तरह मनरेगा में प्रदेश का बेहतरीन प्रदर्शन लगातार जारी है. प्रदेश में मनरेगा के अंतर्गत सर्वाधिक रोजगार देने में राजनांदगांव, जांजगीर-चाम्पा और महासमुन्द जिला शीर्ष पर हैं.