नई दिल्ली (एजेंसी)। पाकिस्तान में महिलाओं पर किस तरह के अत्याचार होते हैं इसके आए दिन उदाहरण सामने आते रहते हैं। इसी बीच पाकिस्तान से एक युवती भागकर अमेरिका पहुंच गई है। उसे पाकिस्तानी अधिकारियों ने छुपकर जीने पर मजबूर कर दिया था। वह अगस्त में भागकर अमेरिका पहुंच गई और उसने अमेरिका से राजनीतिक शरण देने को कहा है। इस युवती का नाम गुलालाई इस्माइल है।
इस्माइल को पाकिस्तानी अधिकारियों ने इसलिए निशाने पर लिया है क्योंकि उन्होंने देश की सेना द्वारा किए जाने वाले अत्याचारों को उजागर किया था। उनपर पाकिस्तान ने राजद्रोह का आरोप लगाया गया था जिसके बाद वह भागकर अमेरिका आ गईं।
रिपोर्ट के अनुसार वह वर्तमान में अपनी बहन के साथ ब्रूकलिन में रह रही हैं। उन्होंने अभी तक यह नहीं बताया है कि वह कैसे पाकिस्तान से भागकर आईं क्योंकि उनका कहना है कि उन्होंने किसी भी हवाई अड्डे से उड़ान नहीं भरी है।
इस्माइल ने कहा, ‘मैं आपको इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दूंगी। मेरी देश से भागने की कहानी बहुत से लोगों की जान को खतरे में डाल सकती है।’ वहीं कोई भी राजनेता इसपर टिप्पणी करने से बच रहा है। न्यूयॉर्क में इस्माइल ने कुछ प्रमुख मानवाधिकार रक्षकों और कांग्रेस नेताओं के कर्मचारियों से मिलना शुरू कर दिया है। पाकिस्तानी सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि उसके पीछे सुरक्षा अधिकारी थे लेकिन उसका पता नहीं लगाया जा सका।
इस्माइस ने पाकिस्तानी सेना द्वारा यौन शोषण की घटनाओं को उजागर करने की कोशिश की थी। देश की महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाने की वजह से उनपर देशद्रोह का आरोप लगाया गया। महिला कार्यकर्ताओं के एक समूह ने प्रधानमंत्री इमरान खान को पत्र लिखकर इस्माइल की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की थी। उन्होंने अपने ऊपर लगे देशद्रोह के मामले को गलत बताया है।
गुलालाई ने कहा कि उन्हें केवल इसलिए निशाना बनाया गया है क्योंकि उन्होंने पाकिस्तानी सेना की जबरदस्ती के खिलाफ आवाज उठाई है। गुलालाई के पाकिस्तान से भागकर अमेरिका जाने की खबर ऐसे समय पर सामने आई है जब पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में होने वाले कथित मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर अतंरराष्ट्रीय समुदाय का साथ पाने की भरपूर कोशिश कर रहा है लेकिन उसे हर जगह से निराशा ही मिली है।
कई सालों से इस्माइल मानवाधिकारों के हनन की मुखर आलोचक रही हैं, खासकर महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ होने वाले शोषण। खैबर पख्तूख्वा की रहने वाली इस्माइल ने 16 साल की उम्र में युवा लड़कियों की पढ़ाई और उनके अधिकारों के लिए एक एनजीओ शुरू किया था। 2013 में उन्होंने 100 महिलाओं की एक टीम बनाई थी जो घरेलू हिंसा और बाल विवाह जैसे मुद्दों पर काम करे। अपने काम के लिए उन्हें कई अवॉर्ड मिले हैं।