नई दिल्ली (एजेंसी)। पाकिस्तान में एक सत्र न्यायाधीश ने हिंदू छात्रा की मौत के मामले में न्यायिक जांच कराने से इंकार कर दिया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, गृह विभाग की सिफारिश के बावजूद जज ने जांच कराने से मना कर दिया। डेंटल की छात्रा निम्रिता चांदनी पिछले सप्ताह अपने हॉस्टल के कमरे में मृत मिली थी। सिंध प्रांत के लरकाना जिले में बीबी आसिफा डेंटल कॉलेज की अंतिम वर्ष की छात्रा और सामाजिक कार्यकर्ता निमरिता चांदनी को उसकी सहेलियों ने 16 सितंबर को मृत पड़ा देखा था। उस दौरान उसका शव बिस्तर पर पड़ा हुआ था और उसके गले में रस्सी लिपटी हुई थी।
डॉन अखबार के मुताबिक, लरकाना जिला और सत्र न्यायाधीश ने चांदनी की रहस्यमयी परिस्थिति में मृत्यु के मामले में न्यायिक जांच नहीं कराई, जबकि गृह मंत्रालय ने 18 सितंबर को इसके लिए अनुरोध किया था। विदेश यात्रा पर गए गृह सचिव अब्दुल कबीर काजी को पुलिस ने सत्र न्यायाधीश के फैसले से अवगत करा दिया है। हालांकि जज का नाम नहीं बताया गया। अखबार ने एक सूत्र के हवाले से कहा, ‘हमें पता चला है कि सत्र न्यायाधीश ने जांच कराने से साफ मना कर दिया है।’
उन्होंने कहा कि काजी ने लरकाना पुलिस को बताया है कि सत्र न्यायाधीश अगर जांच शुरू कराना नहीं चाह रहे तो उन्हें लिखित में देना होगा। अखबार ने लिखा है कि न्यायाधीश ने आपत्ति जताई है कि गृह विभाग ने सीधे उनसे अनुरोध किया है जबकि इस तरह का निर्देश उन्हें सिंध उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार की तरफ से जारी किया जाना चाहिए। पुलिस ने मामले में अब तक 32 संदिग्धों को हिरासत में लिया है, जिनमें छात्रा के दो सहपाठी महरान आबरो और अली शान मेमन शामिल हैं।
छात्रा को इंसाफ दिलाने की मांग को लेकर हिंदू समुदाय ने सिंध में कई जगह प्रदर्शन किया। पाकिस्तानी मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, निमरिता की हत्या का आरोप और दोषियों को सजा देने की मांग के साथ सिंध प्रांत में हिंदू समुदाय के सदस्यों ने कई जगहों पर प्रदर्शन किया। शहदादकोट नामक जगह पर हिंदू समुदाय के सदस्यों ने धरना देकर निमरिता के लिए इंसाफ की मांग की। खैरपुर में समुदाय ने अपना कारोबार बंद रखकर प्रदर्शन किया। मोरो और घावर नामक जगहों पर हिंदू समुदाय और सिविल सोसाइटी के सदस्यों ने रैली निकालकर विरोध जताया।