नई दिल्ली (एजेंसी)। पाकिस्तान के जेल में बंद भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को बचाने में जुटी भारत सरकार को बड़ी जीत हासिल हुई है। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आइसीजे) ने भारत सरकार के आग्रह को स्वीकार करते हुए पाकिस्तान की ‘सैन्य कोर्ट’ की तरफ से जाधव को दी गई फांसी की सजा पर फिलहाल रोक लगा दी है। साथ ही पाकिस्तान को विएना समझौते का पालन नहीं करने पर फटकार लगाई है और आदेश दिया है कि भारतीय राजनयिकों को जाधव से मिलने की इजाजत (काउंसिलर एक्सेस) दी जाए।
जाधव को दी गई सजा की समीक्षा करने का आदेश भी आइसीजे ने दिया है, हालांकि इससे उनकी रिहाई की फिलहाल सूरत नहीं बनती है लेकिन यह उम्मीद बंधती है कि पाकिस्तान में जब उनके खिलाफ नए सिरे से कानूनी प्रक्रिया शुरु की जाएगी तो जाधव भारत सरकार की मदद से अपनी बात ज्यादा निष्पक्ष माहौल में रख सकेंगे। पूरे फैसले में सोलह न्यायाधीशों में से पंद्रह एक मत के थे। जबकि केवल पाकिस्तान से आनेवाले न्यायाधीश टीएस गिलानी ने हर मुद्दे पर अपना अलग मत दिया।
जाधव को पाकिस्तान के एक सैन्य कोर्ट ने जासूसी और आतंकवाद के आरोप में अप्रैल, 2017 में फांसी की सजा सुनाई थी। भारत उसका कड़ा विरोध करते हुए मामले को आइसीजे ले गया था। आइसीजे में यह मामला तकरीबन दो वर्ष दो महीने तक चला। इस बीच भारत व पाकिस्तान के रिश्तों में काफी तल्खी आने से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी यह मामला काफी उछला।
पांच महीने पहले ही हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आइसीजे) ने फांसी की सजा पर अंतरिम रोक लगा दी थी। बुधवार को मामले पर फैसला सुनाते हुए आइसीजे ने जाधव को लेकर पाकिस्तान के रवैये की भी एक तरह से कलई खोल दी। कोर्ट के 16 सदस्यीय न्यायाधीशों की पीठ में 15-1 के बहुमत से यह फैसला सुनाया यानी 15 न्यायाधीशों ने भारत के पक्ष का समर्थन दिया। न्यायालय ने इस मामले को सुनने के आइसीजे के अधिकार को लेकर पाकिस्तान की आपत्तियों को सिरे से खारिज किया है और साफ तौर पर कहा है कि दूसरे देश के अधिकारी या सैन्य कर्मी को पकड़े जाने पर लागू विएना समझौते के मुताबिक पाकिस्तान सरकार ने कदम नहीं उठाये हैं।
पाकिस्तान ने इस समझौते की धारा 36 के तहत जाधव को उसके अधिकार के बारे में नहीं बताया, भारत को भी जाधव की गिरफ्तारी के बारे में तुरंत नहीं बताया और काउसंलर एक्सेस (भारतीय राजनयिकों को जाधव से मिलने की इजाजत) नहीं दी। भारत को अपने नागरिक तक राजनयिक पहुंच बनाने की इजाजत दी जानी चाहिए थी, ताकि उसे सही कानूनी प्रतिनिधित्व दिया जा सके। ऐसे में न्यायालय ने जाधव की फांसी पर लगी रोक को आगे भी जारी रखने का आदेश दिया है।