नई दिल्ली(एजेंसी): सरकार ने प्रस्तावित राष्ट्रीय रोजगार नीति पर काम करना शुरू कर दिया है. इसके तहत प्रवासी कामगार समेत 5 करोड़ कामगारों को औपचारिक रोजगार के दायरे में लाया जाएगा. दरअसल, सरकार ने थावर चंद गहलोत के नेतृत्व में मंत्रियों का समूह बनाया है, जो कोरोना वायरस संक्रमण से पैदा रोजगार संकट के हल सुलझाएगा. यह समूह हर सेक्टर के हिसाब से रोजगार बढ़ाने का रोडमैप सुझाएगा. इसके तहत रोजगार पैदा करने वालों को प्रोत्साहन मिलेगा. श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने अधिकारियों से कहा कि वे कोरोना वायरस संकट की वजह से पैदा बेरोजगारी को देखते हुए रोजगार नीतियां बनाएं.
राष्ट्रीय रोजगार नीति यानी NEP दो फॉर्मूलों पर काम करेगी. पहला, इसके तहत रोजगार बढ़ाने के लिए माकूल माहौल तैयार करेगी, जिससे नए उद्योग और कारोबार खुल सकें. इससे रोजगार में इजाफा होगा. साथ ही कामगारों का कौशल बढ़ाने पर भी जोर दिया जाएगा ताकि चीन से भारत आने वाली कंपनियां उन्हें काम में लगा सकें.
दरअसल राष्ट्रीय रोजगार नीति 2008 में यूपीए सरकार के तहत बनी थी. लेकिन इस पर आगे काम नहीं हो सका. इस योजना को 2016 के दौरानब्रिक्स रोजगार वर्किंग ग्रुप में बढ़ावा मिला. हालांकि उस वक्त भी इस पर काम नहीं हो सका.अब जबकि लॉकडाउन की वजह से बड़ी तादाद में प्रवासी मजदूरों की नौकरियां चली गईं है तो सरकार राष्ट्रीय रोजगार नीति पर फिर से काम करना चाहती है.
भारतीय अर्थव्यवस्था पहले से ही कमजोर स्थिति में थी लेकिन कोरोनोवायरस की वजह से यह जबरदस्त मंदी में फंस गई है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी के आंकड़ों के मुताबिक देश में अप्रैल-मई के दौरान बेरोजगारी का स्तर 23.5 फीसदी पर पहुंच गया है. ताजा आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल में 20 से 30 साल की उम्र के दो करोड़ सत्तर लाख युवाओं की नौकरी चली गई. अगर सरकार ने जल्द रोजगार बढ़ाने के पुख्ता उपाय नहीं किए तो युवाओं में बेरोजगारी और तेजी से बढ़ सकती है.