नई दिल्ली(एजेंसी) :दुनिया में जो आता है वह जाता भी है। जो बंद होता है वह खुलता भी है। कोरोना वायरस आया है। वह जाएगा भी। लॉकडाउन हुआ है। वह खुलेगा भी।
पर उसी दिन से धीरे-धीरे हमारी यह दुनिया कुछ सबक सीखने लगेगी और हम बहुत से बदलाव देखेंगे। जैसे
पर उसी दिन से धीरे-धीरे हमारी यह दुनिया कुछ सबक सीखने लगेगी और हम बहुत से बदलाव देखेंगे। जैसे
1) कि केंद्र और राज्य सरकारें शिक्षा पर बजट बढ़ाएगी।
2) कि स्वास्थ्य, चिकित्सा पर खर्चे हमारी प्राथमिकता सूची पर होंगे।
3) कि हम एकता में अनेकता की राष्ट्रीय भावना को पोषित करेंगे लेकिन हमसे किसी एक मतांधता को राष्ट्रीयता का पर्याय मानने की भूल नहीं होगी।
4) कि हमारे द्वारा विश्व मानवता/वसुदेव कुटुंबकम
पुन परिभाषित होगी।
पुन परिभाषित होगी।
5) कि हम दुनिया भर के बाशिंदे मांसाहार से शाकाहार की ओर प्रवृत्त होंगे।
6) कि हमारी विश्व जैव विविधता के प्रति जागरूकता बढ़ेगी।
7) कि प्रदूषण निवारण की हमारी कवायदें दुनिया में रंग लाएगी।
8) कि पूरे संसार में सह अस्तित्व का भाव ही सर्वोपरि होगा।
9) कि विश्व भर में धर्म, जाति ,भाषा ,नस्ल,
रंग और लिंग संबंधित विभेद कम होते जाएंगे।
रंग और लिंग संबंधित विभेद कम होते जाएंगे।
10) कि स्त्री को उसका अपेक्षित सम्मान और स्थान अवश्य प्राप्त होगा।
11) कि व्यक्तिगत और सामुदायिक स्वास्थ्य और स्वच्छता के प्रति जागरूकता और जिम्मेदारी दोनों ही कई गुना बढ़ जाएगी।
12) कि सर्कस और बंद चिड़ियाघर होना इतिहास की बात होगी और खुले अभयारण्यों में पर्यटन बढ़ेगा।
13) कि घरेलू काम को पूर्ण सम्मान की नजर से देखते हुए हमारे घरों में महिलाओं को घर के काम में खुशी-खुशी अन्यों से सहयोग प्राप्त होगा।
14) कि हम स्वत: शांत एकांत के महत्व भली-भांति समझ अध्यात्म की आत्मिक डगर पर बढ़ चुके होंगे।
15) कि हम पानी के अप व्यय पर पूर्णत: विराम लगा चुके होंगे।
16)कि हमारी जीवन शैली धारणीय के साथ स्वरोजगार और वर्क फ्रॉम होम उन्मुख होगी।
17) कि हमारे सहकार और दान अमीर गरीब की खाई को पाट देंगे।
18) कि हममें पशु वत बलात मानसिकता का अंत होगा।
19)कि हम और वैज्ञानिक दृष्टिकोण वाले और टेक्नो फ्रेंडली हो जाएंगे।
20) कि हम फिर भी हमारी अच्छी परम्पराओं और संस्कारों के रंगों को नहीं तजेंगे।
21) कि हम जिंदगी को ढोएंगे नहीं उसे सही अर्थों में जीना सीख चुके होंगे।