झुग्गी बस्तियों के 57% में मिला एंटीबॉडी, दूसरे रिहायशी इलाकों में 16% में एंटीबॉडी

मुंबई: दिल्ली के बाद अब मुंबई में सीरो सर्वे हुआ है. सर्वे में मुंबई की झुग्गी बस्तियों में रहने वाले 57% लोगों में एंटीबॉडीज पाई गई, यानी कि ये लोग कोरोना की चपेट में आ चुके हैं. वहीं रिहायशी इलाकों में 16% लोगों में एंटीबॉडी बनी है. बीएमसी अधिकारियों ने इसे सकारात्मक परिवर्तन बताया है. इस सीरो सर्वे को बीएमसी ने नीति आयोग और टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) के साथ मिलकर किया था.

कोरोना के प्रसार और लोगों में इससे बचने के लिए पैदा होने वाली इम्युनिटी को जांचने के लिए 6,936 लोगों का सीरो सर्वे किया गया. बीएमसी के 3 वॉर्ड (आर/एन, एम/डब्ल्यू और एफ/एन) में सर्वे किया गया.

झुग्गी बस्तियों में रहने वाले करीब 4 हजार लोगों के ब्लड सैंपल्स लिए गए, जिनमें से 57% में कोरोना के एंटीबॉडी मिले. वहीं रिहायशी इलाकों में रहने वाले करीब 3 हजार लोगों में से 16% में ही एंटीबॉडी मिले. महिलाओं में पुरुषों की तुलना में ज्यादा एंटीबॉडी देखा गया.

किसी शख्स को जब कोरोना हो जाता है तो उसके शरीर में वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी पैदा हो जाते हैं. कोरोना वायरस अलग-अलग लोगों में अलग-अलग तरह के लक्षण उनकी रोग प्रतिकारक क्षमता के मुताबिक दिखाता है. जिस शख्स का एंटीबॉडी टेस्ट होना है उसके खून का सैंपल लिया जाता है और ICMR की ओर से मंजूर की गई मशीनों के जरिए एक प्रक्रिया के तहत ये सुनिश्चित किया जाता है कि खून में एंटीबॉडी हैं या नहीं और अगर हैं तो कितनी मात्रा में.

अगर एटीबॉडी नजर आते हैं तो रिपोर्ट पॉजिटिव आती है यानी कि शख्स को भूतकाल में कोरोना हो चुका है. अगर एंटीबॉडी नहीं है तो रिपोर्ट नेगेटिव आती है, जिसका मतलब है कि कोरोना नहीं हुआ है. कुछे मामलों में ये भी होता है कि सैंपल देने वाले शख्स को कोरोना हो चुका है लेकिन उसके शरीर में एंटीबॉडी नहीं बनते. ऐसे मामले बेहद कम होते हैं.

मुंबई में कोरोना वायरस संक्रमण के मंगलवार को 717 नए मामले सामने आए, जो दो महीनों से अधिक समय में किसी एक दिन की सबसे कम संख्या है. वहीं, इस महामारी से महानगर में 55 और लोगों की मौत हो गई है.
शहर में अब संक्रमित हुए लोगों की कुल संख्या बढ़ कर 1,10,846 पहुंच गई, जबकि संक्रमण से 55 और लोगों की मौत होने के साथ कुल मृतक संख्या बढ़ कर 6,184 हो गई है.

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