नई दिल्ली (एजेंसी). 2002 में गुजरात दंगे के मामले में उच्चतम न्यायालय ने सदरपुरा गांव के 14 दोषियों को जमानत दे दी है। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे के नेतृत्व वाली पीठ ने दोषियों को जमानत दे दी है और उन्हें अपनी जमानत अवधि के दौरान सामाजिक कार्य करने के लिए कहा गया है।
प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने दोषियों को दो समूह में बांटा और कहा कि एक समूह गुजरात से बाहर निकलेगा और मध्य प्रदेश के इंदौर में रहेगा. वहीं दोषियों के दूसरे समूह को मध्य प्रदेश के जबलपुर जाना होगा. अदालत की ओर से तय की गई अन्य शर्तों में समाज की सेवा करना भी शामिल है.
सरदारपुरा दंगा मामले में उम्रकैद की सजा पाने वाले इन 17 दोषियों ने गुजरात हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर रखी है. अदालत ने कहा कि जमानत की शर्तों के तहत सभी दोषियों को प्रत्येक हफ्ते छह घंटे की सामुदायिक सेवा करनी होगी. इसके अलावा उन्हें हर हफ्ते स्थानीय थाने में पेश होना पड़ेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने इंदौर और जबलपुर में जिला विधिक सेवा अधिकारियों (डीएलएसए) को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि दोषी जमानत की शर्तों का सख्त पालन करें. उसने डीएलएसए को दोषियों की आजीविका के लिए उचित रोगजार ढूंढने में मदद करने का भी निर्देश दिया. साथ ही शीर्ष अदालत ने मध्य प्रदेश विधिक सेवा अधिकरण को तीन महीने बाद एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है जिसमें बताना होगा कि दोषियों ने शर्तों का अनुपालन किया या नहीं.