नई दिल्ली (एजेंसी)। अगर आप किसी अंजान शख्स को अपनी प्राइवेट गाड़ी से लिफ्ट देते हैं, तो आपको जुर्माना देना पड़ सकता है। इसके साथ ही जेल की हवा खानी पड़ सकती है। मोटर व्हीकल एक्ट 1988 की धारा 66 में किसी अंजान शख्स को प्राइवेट वाहन में लिफ्ट देना गैर कानूनी है। इस धारा के मुताबिक कोई भी व्यक्ति प्राइवेट वाहन का लाइसेंस लेकर उसका कॉमर्शियल इस्तेमाल नहीं कर सकता है।
अगर आप किसी अंजान को लिफ्ट देते हैं, तो माना जाता है कि आप अपने प्राइवेट वाहन का कॉमर्शियल इस्तेमाल करते हैं। इसके लिए धारा 192 (A) में जुर्माना और सजा का प्रावधान किया गया है। इस धारा में कहा गया है कि अगर कोई अपने प्राइवेट वाहन में किसी अंजान व्यक्ति को लिफ्ट देता है और उसका कॉमर्शियल इस्तेमाल करता है, तो उसको 2 हजार रुपये से लेकर 5 हजार रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है।
इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति ऐसा दोबारा करता है यानी दोबारा किसी अंजान को लिफ्ट देते पाया जाता है, तो उसको 10 हजार रुपये जुर्माना देना होगा। साथ ही तीन महीने से लेकर एक साल तक जेल की हवा खानी पड़ सकती है। हालांकि प्राइवेट वाहन से किसी बीमार व्यक्ति को लिफ्ट दी जा सकती है। साथ ही इसका मेडिकल इमरजेंसी के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
इसका मतलब यह हुआ कि अगर आप अपने प्राइवेट वाहन से किसी बीमार या घायल व्यक्ति को लिफ्ट देकर हॉस्पिटल पहुंचाते हैं या फिर अपने प्राइवेट वाहन का इस्तेमाल मेडिकल इमरजेंसी के लिए करते हैं, तो आपके खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं की जाएगी। हालांकि इसके लिए आपको रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी को सात दिन के अंदर इसकी जानकारी देनी होगी यानी अगर आपने किसी मरीज या घायल को अपने प्राइवेट वाहन से लिफ्ट दिया है या फिर प्राइवेट वाहन का इस्तेमाल मेडिकल इमरजेंसी के लिए किया है, तो आपको इसकी जानकारी सात दिन के भीतर रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी को देनी होगी।