कारगिल युद्ध लड़ने और राष्ट्रपति पदक पाने के बाद भी NCR में नाम नहीं, मोहम्मद सनाउल्लाह को विदेशी घोषित कर हिरासत में लिया गया

नई दिल्ली (एजेंसी)। असम में राष्ट्रपति पदक से अलंकृत सेना के एक पूर्व अधिकारी को विदेशियों के लिए बने न्यायाधिकरण के द्वारा बुधवार को विदेशी घोषित करने के बाद हिरासत शिविर में भेज दिया गया। इस बात की जानकारी पुलिस ने दी। बता दें कि असम सरकार द्वारा विदेशी करार दिए गए सनाउल्लाह भारतीय सेना में कैप्टन के पद से रिटायर हुए थे। बताया जा रहा है कि वो 32 साल तक सेना में अपनी सेवाएं दे चुके हैं।

सनाउल्लाह जम्मू-कश्मीर और नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों के काउंटर इंसरजेंसी ऑपरेशंस (घुसपैठ रोधी अभियान) का हिस्सा भी रह चुके हैं। इसके आलावा उन्होंने वॉलियन्ट्री रिटायर्मेंट के बाद एसआई बॉर्डर पुलिस के तौर पर भी काम किया है। इसके बाद भी इनके पूरे परिवार का नाम एनसीआर में नहीं है। जिसकी वजह से कामरूप जिले में कार्यरत न्यायाधिकरण ने मोहम्मद सनाउल्लाह को ‘विदेशी’ घोषित कर दिया।

वह इस समय सीमा पुलिस में सहायक उप-निरीक्षक के पद पर कार्यरत हैं। कामरूप जिले के अपर पुलिस अधीक्षक संजीब सैकिया ने बताया कि 2008 में सनाउल्लाह का नाम मतदाताओं की सूची में ‘डी’ (संदिग्ध) मतदाता के रूप में दर्ज किया गया था। उन्होंने बताया कि न्यायाधिकरण के फैसले के बाद पुलिस ने तय प्रक्रिया के अनुरूप कार्रवाई करते हुए सनाउल्लाह को गोलपाड़ा के हिरासत शिविर में भेज दिया।

शिविर में जाने से पहले सनाउल्लाह ने बताया कि वह भारतीय नागरिक हैं और उनका परिवार 1935 से ही असम में रह रहा है। उनके पास नागरिकता से संबंधित सारे कागजात हैं। वह न्यायाधिकरण के फैसले के खिलाफ गुवाहाटी हाईकोर्ट में अपील करेंगे। सनाउल्लाह ने बताया कि उन्होंने सेना में शामिल होकर तीस साल (1987-2017) तक इलेक्ट्रोनिक एंड मैकेनिकल इंजीनियर विभाग में सेवाएं दी हैं और उन्हें 2014 में राष्ट्रपति की तरफ से पदक भी मिल चुका है। वह बीते साल से सीमा पुलिस में बतौर सहायक उपनिरीक्षक के पद पर कार्यरत है।

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