देहरादून : रसायानिक उर्वरकों के इस्तेमाल से ज़मीन की उपजाऊ क्षमता कम होती जा रही है, साथ ही इससे स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है. ऐसे में उत्तराखंड में वेस्ट डी-कम्पोज़र जैविक खेती कर रहे किसान खेत में ही खाद तैयार कर रहे हैं, और रसायानिक कीटनाशक दवाइयों की जगह पर जैविक कीटनाशक दवाइयां और खाद से खेती कर रहे हैं. इस खाद को बनाने की विधि बहुत ही सरल है, इसके साथ ही किसानों को इससे अच्छा लाभ भी मिल रहा है.
अभी तक फसलों में जो भी खाद या पेस्टीसाइड डाला जाता है, उससे कई बीमारियां के होने का खतरा भी बना होता है. ऐसे में कोरोनाकाल में इम्यूनिटी बढ़ाने को लेकर भी लगातार लोग जैविक खेती और ऑर्गेनिक उत्पादों की ओर रूझान कर रहे हैं. रसायानिक खाद और कीटनाशक के इस्तेमाल से भूमि की उर्वरक क्षमता भी धीरे-धारे कम हो जाती है. आपको बता दें की उत्तराखंड में किसानों को जैविक खेती के लिए प्रेरित कर रहे पी.एस. रावत सीआईडी में आईजी के पद पर तैनात हैं, लेकिन साथ ही जैविक खेती के लिए खाद बनाने की सरल विधि भी किसानों को बता रहे हैं और खुद भी खेती कर रहे हैं.
पी.एस. रावत बताते हैं कि डी-कम्पोजर खाद को आसानी से किसान खेत में ही तैयार कर सकते हैं. इसके लिए एक बार ही किसान को देसी गाय के गोबर का प्रोडक्ट खरीदना होगा और उसके बाद 2 सौ लीटर पानी में 2 किलो गुड़ को मिलाकर इस मिश्रण से खाद तैयार की जाती है, 7 से 8 दिनों से ये खाद पूरी तरह से तैयार हो जाती है.