नई दिल्ली (एजेंसी)। आम्रपाली और अन्य बिल्डरों की लापरवाही से जिस तरह से खरीदार सालों बाद भी अपने फ्लैट्स नहीं पा सके हैं और अपने पैसे डूबते देख रहे हैं वह किसी भयावह सपने से कम नहीं है। आम्रपाली के निदेशक इस वक्त जेल में हैं और कंपनी का भविष्य अधर में लटकने से खरीदारों का अपना घर पाने का सपना टूटता नजर आ रहा है। हालांकि उन्हें अब भी सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा है कि उनकी मदद के लिए अदालत कुछ ऐसा करेगी जिससे उनका घर या पैसा उन्हें मिल सके।
मेरा घर, मेरा अधिकार इस स्लोगन के साथ 2010 में जब आम्रपाली ग्रुप के चेयरमैन अनिल शर्मा सामने आए थे तो लोगों को लगा था कि वाजिब दाम में अपना घर पाने का उनका सपना पूरा हो जाएगा। लेकिन इन बीते सालों में जिसने भी आम्रपाली ग्रुप में निवेश किया वो आज भी अपने फ्लैट्स का इंतजार ही कर रहे हैं। इनकी संख्या अब 42,000 हो चुकी है।
आम्रपाली के मामले में समस्या सिर्फ यही नहीं है कि काम डेडलाइन पर पूरा नहीं हो सका है, बल्कि कंपनी के मालिकों पर फंड में गड़बड़ी करने का आरोप लगा है जिसके चलते वह आज जेल में हैं। घर खरीदारों का कहना है कि उनकी चुनौतियां खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। जैसे बचे काम को पूरा करने के लिए फंड की व्यवस्था कहां से होगी, कौन सी कंपनी बचा हुआ काम पूरा कराएगी।
आम्रपाली के बायर्स की समस्या जेपी के खरीदारों से ज्यादा बड़ी है। इसकी वजह ये है कि जेपी की समस्या भले ही ज्यादा जटिल हो लेकिन उन्होंने अपनी समस्याओं को सुलझाना शुरू कर दिया है। वहीं आम्रपाली के खरीदार अंतिम छोर पर खड़े हैं जहां से कोई रास्ता निकलता नहीं दिख रहा।