नई दिल्ली(एजेंसी). अहमद पटेल (Ahmed Patel) : संदेसरा बंधुओं से संबंधित कथित बैंक धोखाधड़ी और धनशोधन मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल की मुश्किलें बढ़ती जा रही है. प्रवर्तन निदेशालय की टीम एक बार फिर उनके आवास पर गुरुवार को पूछताछ के लिए पहुंची. केंद्रीय एजेंसी का एक दल कुछ अन्य अधिकारियों के साथ सुबह करीब साढ़े दस बजे मध्य दिल्ली के लुटियंस जोन में स्थित पटेल के आवास 23, मदर टेरेसा क्रीसेंट पहुंचा.
एजेंसी के अधिकारियों ने इस मामले में पहली बार 27 जून को और 30 जून को पटेल से पूछताछ की थी. गुजरात से राज्यसभा सदस्य पटेल (70) ने वरिष्ठ नागरिकों को घर में ही रहने की सलाह देने वाले कोविड-19 दिशा-निर्देश का हवाला देते हुए प्रवर्तन निदेशालय के कार्यालय आने से मना किया था.
अधिकारियों ने कहा कि नवीनतम सत्र में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत पटेल का बयान दर्ज किया जा रहा है. कांग्रेस के कोषाध्यक्ष पटेल इससे पहले संप्रग अध्यक्ष और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव रहे चुके हैं. वह कांग्रेस में सबसे अधिक प्रभावशाली व्यक्तियों में गिने जाते हैं.
यह धन शोधन मामला गुजरात की वड़ोदरा स्थित स्टर्लिंग बायोटेक और उसके मुख्य प्रमोटरों-नितिन जयंतीलाल संदेसरा, चेतनकुमार जयंतीलाल संदेसरा और दीप्ति संदेसरा के 14,500 करोड़ रुपए की कथित बैंक धोखाधड़ी से जुड़ा है. तीनों फरार हैं. नितिन और चेतनकुमार भाई हैं. एजेंसी ने आरोप लगाया कि यह पीएनबी धोखाधड़ी से भी बड़ा बैंक घोटाला है. पीएनबी बैंक धोखाधड़ी में हीरा कारोबारी नीरव मोदी और मेहुल चौकसी संलिप्त हैं. पीएनबी घोटाला करीब 13,400 करोड़ रूपये का है.
गुजरात में फॉर्मा क्षेत्र की इस कंपनी का संचालन वड़ोदरा का संदेसारा परिवार करता है. आरोप है कि फॉर्मा कंपनी के प्रमोटर संदेसारा बंधुओं नितिन और चेतन और दीप्ति संदेसारा ने 14,500 करोड़ रुपये का बैंक लोन फ्रॉड किया और देश छोड़कर भाग गए थे. सरकार उन्हें भगोड़ा घोषित कर चुकी है.
कारोबार बढ़ाने की बात कहकर संदेसरा बंधुओं ने स्टर्लिंग बायोटेक के नाम पर 5383 करोड़ का लोन लिया था. यह लोन आंध्रा बैंक की अगुवाई वाले बैंकों के समूह ने दिया था. मगर उन्होंने जानबूझकर इसे नहीं चुकाया. बैंकों की शिकायत पर आखिरकार सीबीआई ने अक्टूबर 2017 में फार्मा कंपनी के प्रमोटर नितिन संदेसारा, चेतन संदेसारा और दीप्ति संदेसारा के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया था. वहीं ईडी ने जांच में पाया था कि स्टर्लिंग बायोटेक ने बैंकों से कर्ज लेने के लिए अपनी प्रमुख कंपनियों की बैलेंसशीट में आंकड़ों की हेराफेरी भी की थी.