नई दिल्ली (एजेंसी)। सोमवार को भारतीय रिजर्व बैंक ने सरकार को अपने खजाने से 1.76 लाख करोड़ रुपये देने का एलान किया। आरबीआई ने बिमल जालान समिति की सिफारिश को मानते हुए यह फैसला लिया है। 84 साल के इतिहास में आरबीआई पहली बार इतनी ज्यादा पैसा सरकार को तीन से पांच साल में देगा। जानकारों का मानना है कि इससे मंदी से जूझती अर्थव्यवस्था को संभालने में मदद मिलेगी।
जो पैसा सरकार को आरबीआई से मिलेगा, वो देश की अर्थव्यवस्था का एक फीसदी है। कार्वी के रिसर्च हेड और उपाध्यक्ष डा. रवि सिंह ने बताया कि इस पैसे की मदद से सरकार कई सेक्टर में जान फूंकने का काम करेगी। सरकारी बैंकों को तो पैसा मिलेगा ही, वहीं ऑटो, रियल इस्टेट, इंफ्रा, एमएसएमई आदि सेक्टर को बूस्ट करने में भी मदद मिलेगी। 2015 में आरबीआई से सरकार को 65896 करोड़ रुपये, 2016 में 65876 करोड़ रुपये, 2017 में 30659 करोड़ रुपये, 2018 में 50 हजार करोड़ रुपये मिले थे।
आरबीआई के पूर्व गवर्नर विमल जालान की अध्यक्षता में एक समिति बनी थी और इसी समिति ने नए इकनॉमिक फ्रेमवर्क की सिफारिश की थी। इस समिति की सिफारिशों को आरबीआई ने स्वीकार कर लिया है। आरबीआई इस बात पर सहमत हो गया है कि वो पिछले वित्तीय वर्ष की पूरी आय सरकार को दे देगा।
कनाडा की कार्लटन यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर विवेक दहेजिया ने आरबीआई के इस फैसले पर फाइनेंशियल टाइम्स से कहा, “केंद्रीय बैंक अपनी कार्यकारी स्वायत्तता खो रहा है और सरकार के लालच को पूरा करने का जरिया बनता जा रहा है।” विवेक दहेजिया की आरबीआई की गतिविधियों पर नजर बनी रहती है। उन्होंने कहा, “इससे रिजर्व बैंक की विश्वसनीयता कमजोर होगी। जो निवेशक भारत की तरफ देख रहे हैं वो कहेंगे कि आरबीआई पूरी तरह से सरकार के नियंत्रण में है। मुझे नहीं लगता कि यह अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा है।”
इसके साथ ही रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की स्वायत्तता को लेकर भी चिंता जताई जा रही है। रिजर्व बैंक के पास सुरक्षित पैसे के इस्तेमाल को लेकर पिछले साल अक्टूबर में ही विवाद की स्थिति पैदा हो गई थी। पिछले साल आरबीआई के तत्तकालीन गवर्नर उर्जित पटेल और मोदी सरकार में नीतिगत स्तर पर असहमतियां सामने आई थीं और पटेल ने कार्यकाल खत्म होने से पहले ही इस्तीफा दे दिया था।
सरकार ने इस साल के बजट में आरबीआई से 90 हजार करोड़ रुपये मिलने का लक्ष्य रखा था। हालांकि अब जालान समिति के अनुशंषा पर सरकार को 86000 करोड़ रुपये अतिरिक्त मिलेंगे। मंदी के चलते इस बार अर्थव्यवस्था काफी कमजोरी दिखा रही है। ऐसे में सरकार की आय पर भी इसका असर पड़ने की संभावना है। सरकार की आय में जो भी असर पड़ेगा उसकी भरपाई इसके द्वारा की जाएगी।
आरबीआई के 84 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार होने जा रहा है। अब इसी खबर के बाद से विपक्ष लगातार सरकार पर निशाना साध रहा है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी ट्वीट करते हुए सरकार पर हमला बोला है। राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, ‘प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री इसको लेकर बेखबर हैं कि उनके खुद के द्वारा पैदा की गई आर्थिक त्रासदी को कैसे दूर किया जाए।’ राहुल ने दावा किया कि आरबीआई से चुराने से काम नहीं चलने वाला है। यह किसी दवाखाने से बैंड-एड चुराकर, गोली लगने से हुए घाव पर लगाने जैसा है।
इससे पहले कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने आरोप लगाया कि आरबीआई से “प्रोत्साहन पैकेज” लेना इस बात का सबूत है कि अर्थव्यवस्था की स्थिति बहुत खराब हो चुकी है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने यह नहीं बताया कि इस पैसे इस्तेमाल कहां होगा।