पत्रकारिता विश्वविद्यालय में नया विवाद, स्व. कुशाभाउ ठाकरे की प्रतिमा पर माल्यार्पण किये बगैर मना लिया स्थापना दिवस

भाजपा ने बताया महापुरूष का अपमान

रायपुर (अविरल समाचार). कुशाभाउ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय में आज एक नया विवाद खड़ा हो गया. विश्वविद्यालय के आदर्श महापुरूष स्व. कुशाभाउ ठाकरे की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने या उन्हें याद किए बगैर दो दिनों तक कार्यक्रम चलता रहा. कार्यक्रम के प्रभारी डॉ. शाहिद अली को ध्यान दिलाया गया मगर वे अनजान ही बने रहे. जबकि कार्यक्रम में हजारों रूपये नाश्ते इत्यादि पर फूंक दिये गए.

विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्रतिवर्ष 16 अप्रैल को विश्वविद्यालय अपना स्थापना दिवस मनाता आया है जिसकी शुरूआत विश्वविद्यालय परिसर में लगी स्व. कुशाभाउ ठाकरे की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर किया जाता है लेकिन इस वर्ष इस औपचारिकता को भूला दिया गया. पूरे दो दिनों तक स्थापना दिवस मनाया गया मगर ठाकरे की प्रतिमा यूं ही सुनसान पड़ी रही. जबकि कार्यक्रम के प्रभारी और विभागाध्यक्ष शाहिद अली की यह जिम्मेदारी थी कि वह कुलसचिव और कुलपति को याद दिलाते मगर उन्होंने भी अनदेखा कर दिया.

आश्चर्य कि कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के कुलपति, आइएएस जी.चुरेन्द्र थे और कुलसचिव डॉ. आंनद बहादुर अध्यक्षता कर रहे थे लेकिन दोनों ही अतिथियों को माल्यार्पण का ख्याल ही नही आया. दो दिन तक कार्यक्रम चलता रहा और वे अनजान बने रहे. हालांकि हो—हल्ला मचने के बाद आज समापन के बाद आनन फानन में एक-दो माला मंगवाकर स्व. कुशाभाउ ठाकरे के गले में डाल दी गई. इस संबंध में जानकारी लेने के लिए जब कुलसचिव आनंद बहादुर को काल किया गया तो उनका मोबाईल नो रिप्लाई हुआ.

इधर भाजपा इसे अपने महापुरूषों का अपमान बता रही है. पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष सच्चिदानंद उपासने ने कहा कि जबसे कांग्रेस की सरकार बनी है, भाजपा के महापुरूषों का अपमान हो रहा है. यह गलत परंपरा है. स्व. कुशाभाउ ठाकरे के नाम पर विश्वविद्यालय बना है और स्थापना दिवस की शुरूआत प्रतिमा पर माल्र्यार्पण के साथ ही होती है पर लगता है कि कांग्रेस सरकार स्थापित मान्यताओं और परंपराओं को भी त्याज्य कर चुकी है. विश्वविदयालय प्रशासन भी बदले की भावना से काम कर रहा है.

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