नई दिल्ली(एजेंसी): कोरोना संकट के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम से आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश रोजगार अभियान की शुरुआत की. इस अभियान ते तहत एक करोड़ से ज्यादा स्थानीय व प्रवासी श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराए जाएंगे.
प्रदेश सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार अभियान के अंतर्गत अकेले मनरेगा योजना के तहत गोंडा, बलरामपुर सहित 31 जिलों के लिए करीब 900 करोड़ रुपये की कार्य योजना तैयारी की है. अभियान के पहले दिन एक साथ करीब 65 लाख लोगों को एक साथ रोजगार देने की तैयारी है. यह अभियान 125 दिनों तक चलेगा.रोजगार पाने वाले लोगों में 50 प्रतिशत लोग वो होंगे, जो मनरेगा के तहत रजिस्टर्ड हैं.
प्रदेश सरकार के पास 36 लाख प्रवासी कामगारों का पूरा डेटा बैंक मैपिंग के साथ तैयार है. योगी सरकार इन कामगारों को एमएसएमई, एक्सप्रेस-वे, हाइवे, यूपीडा, मनरेगा जैसे तमाम क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर रोजगार से जोड़ भी चुकी है. अब ये आंकड़ा एक करोड़ के पार पहुंचने वाला है. इतना ही नहीं, प्रदेश में एमएसएमई सेक्टर को मजबूत करने और खुद को तकनीकी रूप से अपग्रेड करने के लिए 5 मई को 57 हजार से अधिक इकाइयों को ऑनलाइन लोन दिया गया था.
लॉकडाउन के दौरान बाहर से लोगों को अपने यहां लाने की शुरुआत सबसे पहले योगी आदित्यनाथ ने की थी. हरियाणा बस भेज कर उन्होंने मज़दूरों को घर बुलवाया था. इसके बाद तो कुछ और राज्यों में भी बसें भेजी गई थीं. जब श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलने लगे तो लाखों लोग यूपी आए. क़रीब 36 लाख प्रवासी लोग यूपी में अपने घर लौटे. तब सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा था ये लोग हमारी ताक़त हैं. हमारी पूंजी हैं.
सीएम योगी ने वादा किया था ऐसे लोगों के उनके घर के पास ही रोज़गार देने की कोशिश की जाएगी. इसके लिए देश में पहली बार यूपी में स्किल मैपिंग का काम शुरू हुआ. डाटा तैयार किया गया कि कौन लोग किस तरह का काम करते हैं. जैसे बढ़ई, लुहार, सोनार, दर्ज़ी, कंप्यूटर रिपेयर करने वाले, गाड़ी की मरम्मत का काम करने वाले, राज मिस्त्री जिनके पास कोई हुनर नहीं है उनमें से कुछ को मनरेगा का काम दिया गया. कुछ लोगों को रियल एस्टेट में काम मिला. इसके लिए रियल एस्टेट डेवलपरों के संगठन नरडेका से समझौता किया गया. इसे रोज़गार अभियान नाम दिया गया है. राज्य के अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी बताते हैं कि शुरूआत में 31 ज़िलों में ये योजना शुरू की गई है.
यूपी में क़रीब 90 लाख छोटे और लघु उद्योग हैं. योगी सरकार का दावा है कि अगर इनसे एक भी आदमी को जोड़ दिया गया तो 90 लाख को रोज़गार मिल जाएगा. नोएडा में गार्मेंट्स की क़रीब 3500 फ़ैक्टरियाँ हैं. जिनमें दो लाख लोगों की ज़रूरत थी. स्किल मैपिंग में प्रवासी लोगों में से 64000 दर्ज़ी पाए गए.
यूपी में एमएसएमई के प्रमुख सचिव नवनीत सहगल बताते हैं कि हमने गार्मेंट्स कंपनियों को उनकी ज़रूरत के हिसाब से लोग दे दिए हैं. वे कहते हैं कि जिसको जिस काम का अनुभव है, उसे हम उसी सेक्टर में काम दिलाने में लगे हैं. जो लोग अपना काम धंधा खुद करना चाहते हैं, उन्हें बैंकों से कम ब्याज पर लोन दिया जा रहा है. योगी आदित्यनाथ कह चुके हैं कि बाहर कमाने वाले जो लौटे हैं उन्हें अब फिर बाहर नहीं जाने देंगे. सीएम योगी ने कहा था कि वे पीएम नरेन्द्र मोदी के संकट को अवसर में बदलने के मंत्र को सच साबित कर दिखाएंगे.