नई दिल्ली(एजेंसी) :कोरोना वाइरस की जांच के लिए किट तैयार करने में लगी आईआईटी दिल्ली की टीम को अभी तक सही सैंपल नहीं मिल पाए हैं, जिनके आधार पर उन्हें इस किट को अंतिम रूप देना है। पांच दिन पहले तक को उम्मीद थी कि दो दिन में सैंपल मिल सकेंगे।
सोमवार को भी उन्हें सैंपल न मिलने का मतलब है कि इस किट को अंतिम रूप देने की तारीख और आगे खिसक रही है। अब इस उपयोगी और सस्ती किट के अप्रैल माह के अंत तक भी उपलब्ध होने पर प्रश्नचिन्ह लग गए हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि उन्होंने डीएनए आधारित डायग्नॉस्टिक किट तैयार करके इसके एक स्तर का परीक्षण कर लिया है, लेकिन इतना भर काफी नहीं है। प्रामाणिक, अमेरिकी या अंतरराष्ट्रीय मानक की किट तैयार करने के लिए संक्रमित व्यक्ति के सैंपल की जरूरत है।
जब तक कोरोना से संक्रमित घोषित हुए लोगों के पर्याप्त संख्या में सैंपल नहीं मिलेंगे, तब तक इस किट को विकसित किया जाना संभव नहीं है। संक्रमित व्यक्ति के नमूने में ही कोविड-19 का सूचक (मेसेंजर) आरएनए मिलेगा। उसका ही किट पर परीक्षण किया जाना है। इसी आधार पर किट को प्रामाणिक माना जा सकेगा।
यह डायग्नॉस्टिक किट काफी सस्ती, प्रामाणिक, अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप होगी। इसकी जांच प्रक्रिया आईसीएमआर की मौजूदा जांच प्रक्रिया की तरह होगी। किट की कार्यपद्धति (प्रोसिजर) भी उसी तरह की होगी। इतना ही नहीं, एक संक्रमण की संभावना वाले व्यक्ति की जांच में समय भी चार घंटे के करीब ही लगेगा।