नई दिल्ली(एजेंसी): क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से लागू लॉकडाउन का सकारात्मक असर दिखने लगा है ? कम से कम सरकार का आंतरिक अनुमान तो यही कहता है. मेडिकल रिसर्च के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था आईसीएमआर की ओर से किए गए एक अध्ययन के मुताबिक अगर देश में लॉकडाउन की घोषणा नहीं की गई होती तो 15 अप्रैल तक देश में कुल मामलों की संख्या 8 लाख 20 हजार हो गई होती.
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जबकि लॉकडाउन के चलते फिलहाल जहां संक्रमित मामलों की संख्या छह हजार से कम है वहीं कुल मामलों में से 80 प्रतिशत से ज्यादा केवल 78 जिलों तक ही सीमित हैं. दरअसल ये चौंकाने वाले आंकड़े विदेश मंत्रालय में सचिव ( पश्चिम ) विकास स्वरूप ने विदेशी पत्रकारों के साथ शेयर किेए हैं. स्वरूप के मुताबिक अगर लॉकडाउन नहीं किया गया होता तो भारत की हालत भी आज इटली जैसी ही हो गई होती.
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आईसीएमआर का अनुमान R0-2.5 के सिद्धांत पर आधारित है. इस सिद्धांत के मुताबिक अगर लॉकडाउन नहीं किया जाता है तो कोरोना से प्रभावित एक व्यक्ति 406 लोगों को संक्रमित कर सकता है. जबकि लॉकडाउन के चलते उसकी क्षमता महज 2.5 लोगों को संक्रमित करने तक रह जाती है.
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स्वरूप ने बताया कि भारत में कोरोना संक्रमण का पहला मामला इस साल 30 जनवरी को आया था जबकि केंद्र सरकार ने 17 जनवरी को ही महामारी के खिलाफ एयरपोर्ट पर निगरानी और चेकिंग जैसे एहतियात उठाए थे. भारत में बाहर से आने वाले लोगों की स्क्रीनिंग पहला केस आने के पहले ही शुरू कर दी गई थी जबकि इटली ने 25 दिनों बाद जबकि स्पेन ने 39 दिनों बाद शुरू की थी.
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