छत्तीसगढ़: ‘बिजली बिल हाफ’ से ‘बिजली बिल माफ’ की ओर साय सरकार

विद्युत उत्पादन के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ देश के अग्रणी राज्यों में शुमार है। हम केवल बिजली का उत्पादन ही नहीं करते, बल्कि उसका विक्रय भी करते हैं। इसका सीधा लाभ प्रदेश की जनता को मिलना चाहिए। इस दिशा में राज्य सरकार ने कार्य भी किया है। बिजली बिल हाफ योजना इसका प्रमाण है। वर्तमान प्रदेश सरकार ने इस दिशा में एक कदम और आगे बढ़ाया है। इस योजना में संशोधन कर प्रदेश सरकार ने अब जनता को ‘बिजली बिल हाफ’ से ‘बिजली बिल माफ’ की ओर ले जाने का प्रयास किया है।

छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्यवासियों को बड़ी राहत देते हुए “बिजली बिल हाफ” योजना को एक नई दिशा देने का ऐलान किया है। अब यह योजना प्रधानमंत्री सौर सुजला योजना के साथ मिलकर “बिजली बिल हाफ” से “बिजली बिल माफ” की ओर अग्रसर हो रही है। यह कदम राज्य के लाखों उपभोक्ताओं, विशेष रूप से किसानों और ग्रामीण जनता के लिए एक बड़ी सौगात है। योजना में बड़ा बदलाव करते हुए अब इस योजना की छूट को 400 यूनिट से घटाकर 100 यूनिट कर दिया गया है। यह निर्णय 1 अगस्त, 2025 से लागू हो गया है। इसके माध्यम से सरकार गरीबों की वास्तविक जरूरतों पर ध्यान केंद्रित कर रही है। यह निर्णय राज्य को ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में और आगे ले जाने का प्रयास है। इसके साथ ही सरकार ने बीपीएल परिवारों के लिए 30 यूनिट तक मुफ्त बिजली और 100 यूनिट तक बिजली बिल हाफ सुविधा को बरकरार रखा है।

साय सरकार का उद्देश्य : सस्ती, स्वच्छ और स्थायी ऊर्जा

छत्तीसगढ़ की सरकार का यह निर्णय स्पष्ट करता है कि वह राज्य के गरीबों, किसानों और ग्रामीणों के हितों को सर्वोपरि मानती है। प्रधानमंत्री सौर सुजला योजना के तहत अब ग्रामीण क्षेत्रों के साथ शहरी क्षेत्रों में भी सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किये जायेंगे, जिससे किसानों के साथ-साथ अब आम उपभोक्ताओं को भी बिजली पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि जहाँ पहले आम जनता को भारी भरकम बिजली बिल चुकाना पड़ता था, अब वहाँ सौर ऊर्जा की सहायता से बिजली बिल लगभग शून्य हो जाएगा — यानी, बिजली बिल हाफ से माफ।

योजना के लाभ :

आर्थिक राहत : पहले जिन परिवारों का बिजली बिल हर माह पांच सौ से एक हजार  रुपये आता था, अब वह या तो बहुत कम हो जाएगा या पूरी तरह माफ। इससे गरीब और मध्यम वर्ग को सीधी राहत मिलेगी।

ऊर्जा आत्मनिर्भरता : सौर पंपों और घरेलू सौर संयंत्रों से राज्य में स्वच्छ और हरित ऊर्जा का उत्पादन बढ़ेगा, जिससे ऊर्जा आयात पर निर्भरता कम होगी।

पर्यावरण संरक्षण : कोयला आधारित बिजली उत्पादन की तुलना में सौर ऊर्जा पर्यावरण के लिए अत्यधिक लाभकारी है। सरकार का यह कदम जलवायु परिवर्तन के खिलाफ भी एक सकारात्मक प्रयास है।

किसानों का सशक्तीकरण : किसान अब बिजली की कमी या बिल की चिंता किए बिना अपने खेतों की सिंचाई कर सकेंगे। इससे कृषि उत्पादन बढ़ेगा और किसान आत्मनिर्भर बनेंगे।

छत्तीसगढ़ सरकार की यह योजना “सबका साथ, सबका विकास” की भावना को साकार करती है। यह नीति न केवल बिजली उपभोक्ताओं के लिए राहत लाएगी, बल्कि राज्य को स्वच्छ, हरित और आत्मनिर्भर ऊर्जा की दिशा में भी आगे ले जाएगी। बिजली बिल हाफ से माफ की यह यात्रा एक जनकल्याणकारी क्रांति का आरंभ है — जिसमें हर घर, हर खेत और हर नागरिक को उजाले की ओर ले जाया जा रहा है।

मनीष वोरा

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं)

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