Curriculum change in UP Board: उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद् ने भी एक मैराथन सोच-विचार के बाद अंततः अपने पाठ्यक्रम में 30 फ़ीसदी की कटौती कर ही दी. बोर्ड ने अपने पाठ्यक्रम में की गई इस कटौती को अब बोर्ड की ऑफिशियल वेबसाइट पर भी अपलोड कर दिया है. आपको बता दें कि बोर्ड ने अपने पाठ्यक्रम में 30 फ़ीसदी की यह कटौती कोविड-19 के कारण किये गए लॉकडाउन से छात्रों की पढ़ाई के हुए नुकसान के मद्देनजर की है. बोर्ड ने पाठ्यक्रम की कटौती में छात्रों का विशेष ध्यान रखा है जिससे कि किसी भी प्रकार से छात्रों का कोई नुकसान न हो.
बोर्ड ने पाठ्यक्रम की कटौती में इस बात का भी रखा खयाल- बोर्ड ने अपने पाठ्यक्रम में की गई 30 फ़ीसदी की कटौती में कई बातों का भी ध्यान रखा है. जैसे-
सीबीएसई से हटकर की कटौती- सबसे पहले तो बोर्ड ने पाठ्यक्रम में 30 फ़ीसदी की कटौती करने में जहां छात्रों का नुकसान न होने देने का ध्यान रखा गया है वहीँ इस कटौती के जरिए होने वाले किसी भी विवाद से बचने की पूरी-पूरी कोशिश भी की गई है. इसीलिए बोर्ड ने इतिहास, समाजशास्त्र और हिंदी जैसे विषयों में की गई कटौती में सीबीएसई की कटौती का पालन नहीं किया है.
सीबीएसई की तरह ही की कटौती- यूपी बोर्ड ने अपने साइंस और मैथ्स जैसे विषयों में सीबीएसई के अनुसार ही 30 फ़ीसदी कटौती किया है. बोर्ड ने ऐसा इसलिए किया है कि जिससे मेडिकल और इंजीनियरिंग जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए छात्रों को कोई परेशानी न हो और छात्रों के प्रदर्शन पर भी कोई असर न पड़े.
नीट, जेईई मेंस और एडवांस्ड के छात्रों का भी रखा ख़याल- बोर्ड ने नीट, जेईई मेंस और एडवांस्ड के छात्रों का भी ख़याल रखते हुए यह कटौती किया है. इसके लिए बोर्ड ने उतना ही कोर्स कम किया है जितना कि सीबीएसई ने किया है क्योंकि नीट, जेईई मेंस और एडवांस्ड के क्वेश्चन पेपर में ज्यादातर क्वेश्चन एनसीईआरटी के कोर्स पर ही आधारित होते हैं.
बोर्ड 30 फ़ीसदी की कटौती में कर सकता है संशोधन-सचिव का यह भी कहना है कि अगर कोई की गई कटौती के खिलाफ तर्क सहित आपत्ति देता है तो उस पर विचार किया जाएगा. एक्सपर्ट की राय में अगर आपत्ति उचित पाई जाती है तो आपत्ति के अनुसार ही संशोधन किया जाएगा.