मुंबई (एजेंसी)। कर्ज संकट में फंसी जेट एयरवेज को उबारने की सभी कोशिशें नाकाम होने पर मंगलवार को बैंकों ने एनसीएलटी में दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने की अपील दाखिल की। एनसीएलटी इस पर 19 जून बुधवार को सुनवाई करेगा। एसबीआई की अगुवाई वाले 26 कर्जदाता बैंकों के समूह ने कंपनी से 8,500 करोड़ का बकाया वसूलने के लिए राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) का रुख किया है। इससे पहले पांच महीने तक बैंकों ने कंपनी को उबारने के लिए रणनीतिक निवेशकों की तलाश की लेकिन कोई भी खरीदार सामने नहीं आया।
कंपनी पर बैंकों के अलावा 10 हजार करोड़ रुपये वेंडर्स व एयरक्राफ्ट किराये पर देने वाली कंपनियों के बाकी हैं, जबकि 3 हजार करोड़ से ज्यादा का कर्मचारियों का वेतन भी बकाया है। कंपनी की भागीदार एतिहाद एयरवेज और ब्रिटिश कारोबारी हिंदुजा बंधुओं ने निवेश में दिलचस्पी दिखाई थी लेकिन बैंकों के लिए उनकी शर्तों को पूरा करना संभव नहीं था।
जेट एयरवेज को पिछले कुछ साल में करीब 13 हजार करोड़ का घाटा हो चुका है। ऐसे में 36 हजार करोड़ के कुल बकाए से जूझ रही कंपनी से आईबीसी के तहत भी वसूली होना मुश्किल है।
उसके अधिकतर स्लॉट भी दूसरी एयरलाइन के विमानों को दिए जा चुके हैं। कंपनी के बेड़े में सिर्फ 16 विमान बचे हैं। इनमें से कई विमान 13 साल पुराने हैं। इस कारण इन्हें बेचकर भी कर्जदाता 5 से 6 हजार करोड़ रुपये ही जुटा सकेंगे।
कंपनी के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया शुरू होने के बाद निवेशकों में भगदड़ मच गई और सोमवार को उसके शेयर 41 फीसदी टूट गए। बीएसई पर 40.78 फीसदी की गिरावट के साथ कंपनी के शेयर 40.25 रुपये के भाव आ गए। इसी तरह एनएसई पर 40.78 फीसदी गिरकर 40.50 के भाव बिके।
बीएसई पर अभी कंपनी के 60 लाख से ज्यादा शेयर हैं, जबकि एनएसई पर इनकी संख्या 4 करोड़ से भी ज्यादा है। कंपनी के शेयरों में गिरावट का यह लगातार 12वां दिन रहा। इस दौरान कंपनी ने 1,253 करोड़ रुपये गंवाए।