नई दिल्ली(एजेंसी): बिहार में विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो गई है. चुनाव आयोग का कहना है कि बिहार विधानसभा चुनाव कोरोना महामारी के मौजूदा हालात में दुनियाभर में होने वाले सबसे बड़े चुनावों में से एक होंगे. चुनाव में मतदान के लिए एक घंटे का समय बढ़ाया है. सुबह 7 से शाम छह बजे तक मतदान होगा. पहले शाम 5 बजे तक मतदान होता था. हालांकि, यह सुविधा नक्सल प्रभावित इलाकों में नहीं होगी.
मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने बताया कि बिहार विधानसभा चुनाव कुल तीन चरणों में होंगे. सुरक्षा बंदोबस्त और त्योहारों के मद्देनजर बिहार चुनाव के चरण कम किए गए हैं. पहले चरण का मतदान 28 अक्टूबर को होगा, दूसरे चरण का मतदान तीन नवंबर को और तीसरे चरण का सात नवंबर को होगा.
बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए वोटों की गिनती 10 नवंबर को होगी.
पहले चरण के लिए 28 अक्टूबर को 16 जिलों के 71 विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव होंगे. मतदान में करीब 31,000 पोलिंग बूथ पर वोट डाले जाएंगे. 1 अक्टूबर को नॉमिनेशन जारी किया जाएगा. नामांकन भरने की आखिरी तारीख 8 अक्टूबर है. 12 अक्टूबर तक उम्मीदवार अपना नामांकन वापस ले सकते हैं.
दूसरे चरण में कुल 17 जिलों के 94 विधानसभा क्षेत्रों में 42,000 पोलिंग बूथ पर वोट डाले जाएंगे. दूसरे चरण के लिए वोटिंग तीन नवंबर होगी. अधिसूचना 9 अक्टूबर को जारी की जाएगी. 16 अक्टूबर तक उम्मीदवार नामांकन दाखिल कर सकते हैं और 19 अक्टूबर तक अपनी उम्मीदवारी वापस लेने का ऑप्शन है.
तीसरे चरण में 7 नवंबर को साढ़े 33 हजार पोलिंग बूथ पर वोट डाले जाएंगे. 15 जिलों के 78 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान होंगे. उम्मीदवार 13 अक्टूबर से 20 अक्टूबर के बीच नामांकन दाखिल कर सकते हैं. उम्मीदवारी वापस लेने की आखिरी तारीख 23 अक्टूबर है.
भागलपुर, बांका, मुंगेर, लखीसराय, शेखपुरा, जमुई, खगड़िया, बेगूसराय, पूर्णिया, अररिया, किशनगंज और कटिहार.
मुजफ्फरपुर, सीतामढी, शिवहर, पश्चिमी चंपाण, पूर्वी चंपारण, वैशाली, दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, सहरसा, सुपौल और मधेपुरा
पटना, बक्सर, सारण, भोजपुर, नालंदा, गोपालगंज, सिवान, बोधगया, जहानाबाद, अरवल, नवादा, औरंगाबाद, कैमूर और रोहतास
कोरोना के कारण इस बार ऑनलाइन नामांकन भी हो सकेंगे, लेकिन उम्मीदवारों को नामांकन का प्रिंटआउट जमा करना होगा. ऑफलाइन नमांकन की सुविधा पहले की तरह उपलब्ध रहेगी. चुनाव प्रचार के दौरान जनसभाओं में उम्मीदवारों को सामाजिक दूरी के नियमों का कड़ाई से पालन करना होगा. नामांकन दाखिल करने के लिए उम्मीदवार के साथ दो लोग जा सकते हैं. उम्मीदवार को मिलाकर 5 लोग घर-घर जाकर कैंपेनिंग कर सकते हैं. नामांकन के लिए 2 से ज्यादा गाड़ियों का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे उम्मीदवार.
चुनाव आयोग ने कहा, सोशल मीडिया का इस्तेमाल सांप्रदायिक तनाव और उपद्रव फैलने के लिए करने पर परिणाम भुगतने होंगे. नफरत फैलाने वाले भाषण देने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, बिहार विधानसभा चुनाव में प्रचार प्रसार के लिए हर एक उम्मीदवार 54 लाख रुपये खर्च कर सकता है.
बिहार विधानसभा चुनाव के तिथियों के घोषणा के साथ ही राज्य में चुनाव आचार संहिता लागू हो गया है. देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव आयोजित कराने के लिए भारतीय चुनाव आयोग कुछ नियम बनाती है, इसे ही आचार संहिता कहा जाता है. लोकसभा/विधानसभा चुनाव के दौरान इसे लागू किया जाता है. वहीं इसके अनुपालन की जिम्मेदारी पूरी तरह से सरकार, नेता और पॉलिटिकल पार्टियों की होती है. जबकि इसके उल्लंघन पर कड़ी कार्रवाई का प्रावधान है.
बिहार में विधानसभा की कुल 243 सीट हैं. इन सीटों में 38 सीटें अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व हैं. दो सीटें अनुसूचित जनजाति वर्गों के लिए आरक्षित हैं. बिहार में सबसे बड़ा चुनावी फैक्टर जाति को ही करार दिया जाता है, क्योंकि यहां बड़े पैमाने पर वोट देने का पैटर्न अपनी अपनी करीबी जातियों के आधार पर तय होता है.
बिहार का जातीय समीकरण देखें तो करीब 20 फीसदी अगड़ी जातियां हैं, जिसमें राजपूत सबसे ज्यादा हैं. ब्रह्मण और भूमिहार की अच्छी खासी तादाद है. मुसलमान और दलित समुदाय की आबादी करीब 15-15 फीसदी है. ओबीसी में सबसे ज्यादा यादवों की संख्या है और करीब 14 फीसदी हैं.
2015 बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन ने जीत हासिल की थी. नीतीश कुमार की जेडीयू, लालू प्रसाद यादव की आरजेडी और कांग्रेस ने महागठबंधन बनाकर बीजेपी, आरएलएसपी और एलजेपी के गठबंधन पर जीत हासिल की थी. महागठबंधन को 43 फीसदी वोट मिले. आरजेडी को 18.4 फीसदी, जेडीयू को 16.8 फीसदी और कांग्रेस को 6.7 फीसदी वोट मिले.