नई दिल्ली(एजेंसी): सुप्रीम कोर्ट में अवमानना मामले में वकील प्रशांत भूषण की सज़ा पर बहस शुरू है. भूषण के वकील दुष्यंत दवे ने पुनर्विचार याचिका दाखिल करते हुए सज़ा पर बहस रोकने की मांग की है.
इसपर जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा, हम जो भी सज़ा तय करेंगे, उस पर अमल पुनर्विचार याचिका पर फैसले तक स्थगित रखा जा सकता है. दवे ने सुनवाई रोकने की मांग दोहराते हुए कहा, कोर्ट ऐसा जताना चाहती है कि उसे जस्टिस अरुण मिश्रा के रिटायर होने से पहले फैसला ज़रूरी है. इसपर जस्टिस मिश्रा ने कहा कि दोषी ठहराने वाली बेंच ही सज़ा तय करती है. यह स्थापित प्रक्रिया है. जस्टिस मिश्रा 3 सितंबर को रिटायर होने वाले हैं.
प्रशांत भूषण ने कहा, ”मैं इस बात से दुखी हूं कि मेरी बात को नहीं समझा गया. मुझे मेरे बारे में हुई शिकायत की कॉपी भी उपलब्ध नहीं की गई. मैं सज़ा पाने को लेकर चिंतित नहीं. मैंने संवैधानिक ज़िम्मेदारियों के प्रति आगाह करने वाला ट्वीट कर के अपना कर्तव्य निभाया है.”
प्रशांत भूषण की तरफ से वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कहा, सज़ा पर फैसला लेते समय कोर्ट को 2 बातों पर विचार करना चाहिए…
जो बातें भूषण ने कहीं वो काफी समय से लोगों के बीच चर्चा में हैं.
भूषण ने बतौर वकील हमेशा न्यायपालिका और आम लोगों के हित में काम किया है.
बता दें कि प्रशांत भूषण ने देश के सर्वोच्च न्यायलय और मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबड़े के खिलाफ ट्वीट किया था, जिस पर स्वत: संज्ञान लेकर कोर्ट ने अवमानना की कार्यवाही की. 27 जून को प्रशांत भूषण ने अपने ट्विटर अकाउंट से एक ट्वीट सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ और दूसरा ट्वीट मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबड़े के खिलाफ किया था. 22 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट की ओर से प्रशांत भूषण को नोटिस जारी किया गया था.
प्रशांत भूषण को 2 ट्वीट के लिए नोटिस भेजा गया था. एक ट्वीट में उन्होंने पिछले 4 चीफ जस्टिस पर लोकतंत्र को तबाह करने में भूमिका निभाने का आरोप लगाया था. दूसरे ट्वीट में उन्होंने बाइक पर बैठे मौजूदा चीफ जस्टिस की तस्वीर पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. सुप्रीम कोर्ट ने मामले में ट्विटर को भी पक्षकार बनाते हुए जवाब दाखिल करने को कहा था.