मुंबई: रिजर्व बैंक ने हाल में छह प्रतिशत से ऊपर निकल चुकी महंगाई पर अंकुश रखने के लिये बृहस्पतिवार को नीतिगत ब्याज दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया. इसके साथ ही केन्द्रीय बैंक ने कहा है कि कोरोना वायरस के मामलों में तेजी आने से अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है. धीमी पड़ी आर्थिक गतिविधियों को देखते हुए केन्द्रीय बैंक ने कंपनियों, सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) के कर्ज पुनर्गठन की मंजूरी दे दी है. दूसरी तरफ घर- परिवारों को सोने के जेवर तथा आभूषणों के बदले मिलने वाले ऋण की सीमा 75 प्रतिशत से बढ़ाकर 90 प्रतिशत कर दी है.
रिजर्व बैंक इससे पहले दो मार्च अंत और मई अंत में हुई दो मौद्रिक नीति समीक्षा बैठकों में रेपो दर में कुल 1.15 प्रतिशत की बड़ी कटौती कर चुका है. इसके बाद पिछले तीन दिन से चल रही मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने बैठक में गहन विचार विमर्श के बाद प्रमुख नीतिगत दर रेपा को चार प्रतिशत पर बरकरार रखने का एकमत से फैसला किया है.
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रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बैठक के बाद निर्णय की जानकारी देते हुए कहा कि एमपीसी ने रेपो दर को चार प्रतिशत, रिवर्स रेपो दर 3.35 प्रतिशत और सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) को 4.25 प्रतिशत पर बरकरार रखने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि एमपीसी ने आर्थिक वृद्धि को फिर से पटरी पर लाने, कोविड-19 के प्रभाव को कम करने के लिये जब तक जरूरी समझा जायेगा मौद्रिक नीति के रुख को नरम बनाये रखने का फैसला किया है. हालांकि इसके साथ ही मुद्रास्फीति को तय दायरे में रखने पर भी ध्यान रहेगा.
रिजर्व बैंक को मुद्रास्फीति को सामान्यत: चार प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य दिया गया है. इसके साथ ही यह ऊंचे में छह प्रतिशत और नीचे में दो प्रतिशत तक भी जा सकती है. जून 2020 में खुदरा मुद्रास्फीति इस दायरे को पार करती हुई 6.09 प्रतिशत पर पहुंच गई. दास ने कहा कि अर्थव्यवस्था में अप्रैल- मई के निम्न स्तर से सुधार आना शुरू हो गया था लेकिन हाल में कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों के बाद कई शहरों में फिर से लॉकडाउन लगाये जाने से तेजी से बढ़ती गतिविधियां फिर कमजोर पड़ गईं. छह सदस्यों वाली मौद्रिक नीति समिति ने खाद्य जिंसों के महंगा होने की आशंका जताई है. उनके मुताबिक अगली तिमाही (जुलाई से सितंबर) के दौरान मुद्रास्फीति बढ़ सकती है. हालांकि, उनके मुताबिक 2020- 21 की दूसरी दमाही में इसमें कुछ नरमी आयेगी.
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रिजर्व बैंक ने अप्रैल 2020 से मार्च 2021 के वित्त वर्ष के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में गिरावट आने का भी अनुमान व्यक्त किया है. दास ने कहा, ‘‘वित्त वर्ष की पहली छमाही में वास्तविक जीडीपी संकुचन के दायरे में रहेगी जबकि पूरे वित्त वर्ष 2020- 21 में भी कुल मिलाकर इसके नकारात्मक रहने का अनुमान है.’’ शक्तिकांत दास ने आवास क्षेत्र और छोटे गैर- बैंकिंग वित्त कंपनियों के लिये 10 हजार करोड़ रुपये की अतिरिक्त विशेष नकदी सुविधा उपलब्ध कराने की भी घोषणा की.
कोविड- 19 से उत्पन्न बाधाओं से निपटने के लिये रिजर्व बैंक ने बैंकों को कंपनियों के स्वामित्व में बदलाव किये बिना ही कर्ज समस्या का समाधान करने की अनुमति दी है. एमएसएमई कर्जदारों के कर्ज का पुनर्गठन करने की भी अनुमति दी गई है. दास ने कहा कि सोने के आभूषण और जेवरों के बदले दिये जाने वाले कर्ज की सीमा को बढ़ाया गया है. वर्तमान में गिरवी रखे जाने वाले सोने के जेवर और आभूषण के मूल्य के 75 प्रतिशत तक कर्ज देने की व्यवस्था है, जिसे बढ़ाकर 90 प्रतिशत करने का फैसला किया गया है. यह राहत 31 मार्च 2021 तक उपलब्ध होगी.
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