भोपाल: एमपी बोर्ड 10वीं की परीक्षा का परिणाम जारी होने में बस आधे घंटे का समय रह गया है. करीब 12 बजे रिजल्ट जारी कर दिया जाएगा. इस बार कोरोना वायरस के कारण परीक्षाएं देरी से शुरू हुईं. एमपी बोर्ड 10वीं की परीक्षा 03 मार्च 2020 से शुरू होकर 27 मार्च 2020 को खत्म होनी थी लेकिन कोरोना वायरस के चलते ये संभव नहीं हो सका.
बता दें कि इस साल एमपी बोर्ड 10वीं की परीक्षा में करीब 11.5 लाख स्टूडेंट्स शामिल हुए थे. छात्र अपने नतीजे MBPSE बोर्ड की ऑफिशियल वेबसाइट mpbse.nic.in और mpresults.nic.in पर देख पाएंगे. गौरतलब है कि पिछले साल (2019) आयुष्मान ताम्रकर और गगन दीक्षित पहले स्थान पर रहे थे. ये दोनों ही सागर जिले के रहने वाले हैं. आयुष्मान ताम्रकर और गगन दीक्षित दोनों ने ही 10वीं की परीक्षा में 500 में से 499 अंक हासिल किए थे.
बीते साल 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा में 335738 छात्र प्रथम श्रेणी से पास हुए थे, जबकि 192083 परीक्षार्थी दूसरी श्रेणी और 2451 छात्र तृतीय श्रेणी पास हुए थे. वहीं, मध्य प्रदेश 10वीं सप्लीमेंट्री परिणामों में 103230 छात्र उत्तीर्ण हुए थे और 231251 छात्रों को अनुत्तीर्ण घोषित किया गया था.
इस बार देखना होगा की छात्राएं परीक्षा परिणामों में कितना अच्छा प्रदर्शन करती हैं. बीते सालों में मध्य प्रदेश की छात्राओं ने परीक्षा परिणामों पर अपना दबदबा कायम रखा हुआ है. साल 2019 के परीक्षा परिणाम की बात करें तो इस साल MP Board 10वीं की परीक्षा में 11,32,319 छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया था.
जिसमें से उत्तीर्ण होने वाले छात्रों का प्रतिशत 61.32 रहा था. 59.15 फीसदी लड़के उत्तीर्ण हुए थे और 63.69 फीसदी पास परसेंटेज के साथ लड़कियों ने बाजी मारी थी. साल 2015 में मध्यप्रदेश बोर्ड की हाईस्कूल परीक्षा में 11.25 लाख स्टूडेंट्स ने परीक्षा दी थी. सरकारी स्कूलों का परीक्षा परिणाम 48.16% और निजी स्कूलों का परिणाम 51.89% रहा. लड़कों के मुकाबले इस बार लड़कियों का पास प्रतिशत बेहतर रहा.
मध्य प्रदेश बोर्ड दसवीं का रिजल्ट डिक्लेयर हो जाने के बाद यह साफ हो जाएगा कि कितने बच्चे पास हुए हैं और कितने फेल. जहां दो से ज्यादा विषयों में फेल बच्चों के लिए कोई ऑप्शन नहीं है, वहीं एक या दो विषय में फेल स्टूडेंट्स कंपार्टमेंट परीक्षा देकर पास हो सकते हैं. वैसे तो यह सुविधा हर बोर्ड देता है और हर साल बहुत से बच्चे कंपार्टमेंट परीक्षा देते हैं पर इस साल स्थिति काफी बदली हुयी है. इस साल कोरोना की वजह से जो परीक्षाएं जरूरी थीं वो भी आयोजित नहीं हो पायीं, मसलन बोर्ड ने दसवीं की बची परीक्षाएं नहीं करायीं. केवल बारहवीं की बचे विषयों की परीक्षा आयोजित हुई. ऐसे में कंपार्टमेंट परीक्षा के आयोजन को लेकर सवाल उठना लाजिमी है.
अगर मध्य प्रदेश बोर्ड के फैसले के झुकाव के संबंध में बात करें तो जहां ज्यादातर बोर्ड्स ने पेंडिंग परीक्षाएं कैंसिल कर दीं, वहीं एमपी बोर्ड ने कैसे भी करके बारहवीं की पेंडिंग परीक्षाएं सफलतापूर्वक आयोजित करवायीं. इसलिए जो बोर्ड ये परीक्षाएं आयोजित करा सकता है, वह कंपार्टमेंट परीक्षा भी आयोजित कराएगा इसकी प्रबल संभावना है.
हालांकि एक स्थिति ऐसी भी हो सकती है कि कोरोना का हाल और बिगड़ गया तो क्या होगा? ऐसे में हो सकता है बोर्ड अल्टरनेटिव तरीके इस्तेमाल करें. जैसे ऑनलाइन परीक्षा कराना या प्रोजेक्ट अथवा एसाइनमेंट के आधार पर स्टूडेंट को जज करना या सबसे खराब स्थिति में अधिकतम यह हो सकता है कि थोड़ा रुककर परीक्षाएं आयोजित की जाएं. बोर्ड क्या तरीका अपनाएगा ये तो आने वाले समय में पता चलेगा पर इतना तो पक्का है कि जैसे बारहवीं की पेंडिंग परीक्षाएं हुई थीं, कंपार्टमेंट परीक्षा के लिए भी कोई न कोई विकल्प निकाला जाएगा.