पटना: बुधवार शाम गृह मंत्रालय ने लॉकडाउन के दौरान अपने राज्य के बाहर फंसे छात्रों और मजदूरों को वापस अपने घर जाने का रास्ता साफ कर दिया. मंत्रालय ने एक दिशानिर्देश जारी कर इस बात की इजाजत दे दी कि सभी राज्य अपने यहां के प्रवासी मजदूरों और छात्रों को वापस बुला लें.
गृह मंत्रालय के इस फैसले से सबसे ज्यादा राहत की सांस ली होगी बिहार के उन मजदूरों और छात्रों ने, जो लॉकडाउन के चलते देश के अलग-अलग हिस्सों में फंसे हुए हैं. लेकिन इस मुद्दे पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के रुख को लेकर राज्य के बीजेपी सांसद उनसे बेहद नाराज और गुस्से में हैं.
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बिहार के लोकसभा सांसदों से कोरोना और लॉकडाउन को लेकर बातचीत की. सूत्रों के मुताबिक बैठक में मौजूद सांसदों ने राजस्थान के कोटा समेत अलग-अलग भागों में रह रहे बिहार के छात्रों और मजदूरों को वापस लाने से मना करने के नीतीश कुमार के फैसले पर कड़ा एतराज जताया.
लगभग सभी सांसदों ने एक स्वर से कहा कि उनके क्षेत्र के लोगों में नीतीश कुमार के इस फैसले को लेकर जबरदस्त गुस्सा है. साथ ही उन्हें लोगों के सवालों का जवाब देना मुश्किल हो रहा है.
सांसदों की चिंता इस बात को लेकर और ज्यादा थी कि इस साल अक्टूबर-नवम्बर में बिहार में विधानसभा चुनाव होना है. कई सांसदों ने वर्तमान हालात का असर चुनाव में भी दिखने की संभावना से इनकार नहीं किया. उन्होंने आशंका जताई कि नीतीश कुमार की निष्क्रियता के चलते एनडीए के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर पैदा हो सकती है.
जिसका सीधा सीधा फायदा आरजेडी नेता तेजस्वी यादव को होगा. ज्यादातर सांसदों ने नीतीश कुमार के उस तर्क को भी खारिज कर दिया कि लॉकडाउन की शर्तों के चलते छात्रों और मजदूरों को वापस लाना सम्भव नहीं था. उनका कहना था कि इन्हीं नियमों के रहते बाकी राज्य सरकारों ने अपने छात्रों को वापस बुलाया और अब मजदूरों को लाने का भी इंतजाम किए जा रहे हैं
प्रह्लाद जोशी के अलावा इस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल , श्रम मंत्री सन्तोष गंगवार , केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह , स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे और गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय के अलावा कई सांसद भी शामिल हुए.