नई दिल्ली(एजेंसी ) : कोरोना वायरस ने दुनिया में क्या आतंक मचाया है ये सबके सामने है. इस खरतरनाक वायरस ने मजबूत से मजबूत देश को हिलाकर रख दिया है. मौजूदा समय में दो सौ के करीब देशों में इसने पैर पसार दिया है. अपने-अपने हिसाब में सभी देश कदम उठा रहे हैं. भारत में 14 अप्रैल तक संपूर्ण लॉकडाउन है. हालांकि, इस दौरान जरूरी सेवाएं जारी हैं.जहां एक तरफ कोरोना का आतंक तेजी से फैल रहा था वहीं दूसरी तरफ इसको लेकर कई तरह की अफवाहें और कई तरह की थ्योरी भी सामने आईं. इसको लेकर देश-दुनिया में खूब चर्चा हुई. सोशल मीडिया पर ये थ्योरी और अफवाह छाए रहें. बाद में कहा गया कि इसमें किसी तरह की कोई सच्चाई नहीं है. लोगों से ये अपील की गई इस तरह की अफवाहों पर ध्यान न दें. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी यही कहा.
जो थ्योरी सबसे पहले वायरस हुई वो ये थी कि कोरोना वायरस चीन के एक लैब से फैला. कई तरह की बातें कही गई. चीन पर तरह-तरह के आरोप लगाए गए. क्योंकि ये वायरस चीन से शुरू हुआ था, इस वजह से लोगों में ये चर्चा का विषय बना रहा. इस वायरस को ‘मानव निर्मित’ भी कहा गया. हालांकि बाद में चीन ने साफ किया कि ये मानव निर्मित नहीं है और इस तरह की बातों का कोई आधार नहीं है. यहां तक की कोरोना वायरस को बायोलॉजिकल हथियार तक कह दिया गया.
कोरोना को लेकर एक और दावा ये सामने आया कि ये एक सी-फूड मार्केट से फैला लेकिन इसका भी कोई प्रमाण नहीं है. चमगादड़ को भी इस महामारी की वजह बताया गया है लेकिन ये सब कुछ कल्पना के आधार पर कहा जा रहा है.
यहां ये बता दें कि कोरोना वायरस को लेकर पूरी दुनिया में रिसर्च जारी है और फिलहाल कोई निष्कर्ष नहीं निकला है. डब्ल्यूएचओ ने भी कहा है कि इस वायरस का फिलहाल कोई इलाज नहीं है. इस वायरस को ‘चीनी वायरस’ कहना भी बिल्कुल अनुचित होगा. एक बार अमेरिका के राष्ट्रपति ने इसे इसलिए चाइनीज वायरस कह दिया क्योंकि ये चीन से फैला. ये दलील भी उन्होंने खुद दी लेकिन बाद में उन्होंने अपील की कि इसे चीन से जोड़ना ठीक नहीं होगा.
इस बीच ही एक फिल्म की खूब चर्चा हई. साल 2011 में आई हॉलीवुड की फिल्म ‘कंटेजियन’ में कुछ इसी तरह की घटनाएं दिखाई गईं जो पिछले कुछ महीनों में घटी. फिल्म एक वायरस पर आधारित थी जो लोगों के एक दूसरे के संपर्क में आने से फैलती है. इसमें बताया गया कि ये वायरस एक लैब से निकला था. फिल्म में वायरस का पता लगाने वाले डॉक्टर की बाद में इस वायरस से मौत हो जाती है. चीन में इस वायरस के बारे में सबसे पहले बताने वाले डॉक्टर ली वेलियांग की भी कोरोना वायरस से मौत हो चुकी है. मिलती जुलती घटनाओं के चलते इस फिल्म पर भी चर्चा हुई.
चर्चा का बाजार गरमाया रहा. सोशल मीडिया पर ये दावे किए गए और कहा गया कि अलग-अलग दवाइयों और तरीकों से कोरोना का इलाज हो सकता है लेकिन जैसा कि पहले ही बता दिया गया है कि इसका कोई इलाज फिलहाल मौजूद नहीं है. कुछ दावे ऐसे भी सामने आए कि तापमान बढ़ने से कोरोना वायरस का फैलना बंद हो सकता है. गर्मी में कोरोना वायरस मर जाता है. गोमूत्र और गोबर से कोरोना को मारा जा सकता है लेकिन ऐसा कुछ नहीं है. इन बातों का कोई मेडिकल प्रमाण नहीं है. हालांकि, लोगों के ये सलाह दी गई है कि बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी फैसला ल नें.
इस वायरस के संकट के बीच खान-पान के विकल्पों पर भी खूब चर्चा हुई. कहा गया कि मांस, मछली और अंडा खाने से कोरोना का खतरा होता है. इस अफवाह की वजह से इस क्षेत्र से जुड़े व्यापार को नुकसान उठाना पड़ा है. लेकिन इस बात में भी कोई सच्चाई नहीं है. भारत सरकार ये साफ कर चुकी है कि मांस, मछली खाने से कोरोना नहीं फैलता है.
अब तक जो बात सामने आई है कि कोरोना वायरस से बचने के लिए सोशल डिस्टेंस बनाए रखना बेहद जरूरी है. कोरोना का माध्यम मानव शरीर है. ये हवा से नहीं फैलता है. इसलिए लोगों को घरों में रहने की सलाह दी गई है. बार-बार हाथ को साबुन से धोने के लिए कहा जा रहा है. छींकने या खांसने वक्त मुंह को रूमान या टिश्यू से ढ़ंकने के लिए कहा जाता है.