नई दिल्ली(एजेंसी) :सुप्रीम कोर्ट में आज एक नई शुरुआत हुई. जजों ने अपने घर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई की. वकीलों ने भी अपने घर या दफ्तर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही जजों को संबोधित किया. सुनवाई बेहद जरूरी मामलों पर ही हुई. उनमें से सबसे अहम मामला था, ईरान में फंसे 800 भारतीय तीर्थ यात्रियों को लाने का. मामले में कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है.
आज सुप्रीम कोर्ट के 2-2 जजों की तीन बेंच यानी कुल 6 जज सुनवाई के लिए बैठे. 11 बजे जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और सूर्यकांत 1 बजे जस्टिस नागेश्वर राव और अनिरुद्ध बोस और 3 बजे जस्टिस अरुण मिश्रा और दीपक गुप्ता की बेंच बैठी. कोई भी बेंच कोर्ट रूम में नहीं, उस बेंच के अध्यक्ष वरिष्ठ जज के घर पर बैठी.
कोर्ट की कार्रवाई कवर करने वाले पत्रकार सुनवाई को देख सकें, इसके लिए भी विशेष बंदोबस्त किया गया. सुप्रीम कोर्ट के एनेक्सी भवन के एक कमरे में मीडिया के लिए अलग से स्क्रीन लगाया गया, जिससे पत्रकार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हो रही सुनवाई को देख सकें.
सामान्य परिस्थितियों में कोर्ट रूम के अंदर सुनवाई कर रहे जजों या वकीलों के तस्वीर लेना मना होता है. लेकिन न्याय तक लोगों की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए किए गए विशेष इंतजाम की तस्वीर खुद सुप्रीम कोर्ट ने आधिकारिक रूप से शेयर की है.
सुप्रीम कोर्ट कवर करने वाले पत्रकारों को दो तस्वीरें भेजी गई हैं. एक में जस्टिस नागेश्वर राव और अनिरुद्ध बोस सुनवाई करते हुए नजर आ रहे हैं. दूसरे में जस्टिस अरुण मिश्रा और दीपक गुप्ता. दोनों ही तस्वीरों में अपनी बात जजों के सामने अपनी बात रख रहे वकीलों को भी देखा जा सकता है.
वकीलों से कहा गया था कि वह ‘विड्यो’ नाम के ऐप को डाउनलोड करें. उस ऐप पर भेजे गए लिंक के जरिए अपनी बात जजों तक रखें. वकीलों को यह भी बताया गया था कि अगर ‘विड्यो’ ऐप से उन्हें कुछ दिक्कत आ रही हो, तो विकल्प के तौर पर स्काइप या व्हाट्सएप वीडियो चैट का भी इस्तेमाल किया जा सकता है. बहरहाल, पूरा दिन बिना किसी खास तकनीकी दिक्कत के सभी मामलों की सुनवाई हुई. कोर्ट ने कुछ अहम आदेश भी पारित किए.
सुप्रीम कोर्ट ने कारगिल के रहने वाले मुस्तफा की याचिका पर संज्ञान लेते हुए आज केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया. याचिकाकर्ता ने अपने दो रिश्तेदारों मोहम्मद मूसा और कुलसुम के ईरान के क़ोम शहर में फंसे होने की जानकारी कोर्ट को दी थी.
याचिका में बताया गया था कि दिसंबर में करीब 1000 शिया मुस्लिम तीर्थयात्री ईरान में तीर्थ यात्रा के लिए गए थे. मूसा और कुलसुम समेत अभी भी करीब 800 तीर्थयात्री कोम शहर में फंसे हुए हैं. उनके पास खाने या दवाइयों के भी पैसे नहीं बचे हैं. ईरान में कोरोना बहुत ज्यादा फैला हुआ है. भारतीय तीर्थयात्रियों में भी 250 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं.
याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और सूर्यकांत की बेंच के सामने दलीलें रखीं. उन्होंने मांग की कि ईरान में फंसे भारतीयों तक तुरंत जरूरी मदद पहुंचाई जाए. उन लोगों को वहां से भारत वापस लाया जाए. जजों ने इस मसले को अहम मानते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर दिया. कोर्ट ने कहा है कि सोमवार, 30 मार्च को सॉलिसिटर जनरल इस मामले में केंद्र सरकार की तरफ से जवाब दें.
आज एक और अहम सुनवाई BS-4 गाड़ियों की बिक्री से जुड़ी रही. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने काफी पहले यह आदेश दे दिया था कि 1 अप्रैल 2020 से सिर्फ BS-6 गाड़ियों की ही बिक्री भारत में हो सकेगी. वाहन निर्माता कंपनियों ने कई बार इस मियाद को बढ़ाने की गुहार की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया.
आज एक बार फिर कार निर्माता कंपनियों के संस्था FADA ने जस्टिस अरुण मिश्रा और दीपक गुप्ता की बेंच के सामने दलीलें रखी. उनकी तरफ से यह बताया गया कि देशव्यापी लॉक डाउन के चलते गाड़ियों की बिक्री नहीं हो पा रही है. 15 हजार यात्री कार, 12 हजार कमर्शियल वाहन और 7 लाख दुपहिया वाहन नहीं बिक सके हैं. इस तरह 7000 करोड रुपए का माल फंसा हुआ है. कोर्ट उसे बेचने की इजाजत दे.
जजों ने कंपनियों को फटकार लगाते हुए कहा कि आप से काफी पहले यह कह दिया गया था की 31 मार्च की मियाद को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा. अब आपको कोरोना की आड़ में एक बार फिर पुरानी मांग को दोहरा रहे हैं.
हालांकि, कुछ देर चली सुनवाई के बाद जजों ने यह माना कि लॉक डाउन के चलते गाड़ियों की बिक्री नहीं हो पा रही है. फिर भी उनका कहना था कि इसके चलते सारे पुराने स्टॉक को बेचने की इजाजत नहीं दी जा सकती है.
जजों ने कहा, “प्रदूषण करने वाली बीएस-4 गाड़ियों की बिक्री बंद करने का आदेश काफी सोच समझ कर दिया गया था. इसमें बहुत ज्यादा रियायत नहीं दी जा सकती है. हम कंपनियों को इस बात की इजाजत देते हैं कि वह लॉक डाउन खत्म होने के बाद इस समय बचे स्टॉक का 10 फ़ीसदी बेच सकेंगी. लेकिन यह बिक्री दिल्ली एनसीआर में नहीं होगी. दिल्ली एनसीआर में सिर्फ उन्हीं गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन होगा, जिनकी बिक्री 31 मार्च तक हो जाएगी. बाकी देश में भी लॉक डाउन के बाद जो 10 फ़ीसदी माल बेचा जाएगा, उसका रजिस्ट्रेशन बिक्री के 10 दिन के भीतर करवाना होगा.“