जोधपुर (एजेंसी). 38 साल तक धाक जमाने वाला भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) का लड़ाकू विमान मिग-27 (MIG-27) आज रिटायर हो गया है. राजस्थान (Rajasthan) के जोधपुर (Jodhpur) एयरबेस पर आज सुबह करीब 10 बजे मिग-27 ने आखिरी उड़ान भरी. ये लड़ाकू विमान 38 साल पहले वायुसेना में शामिल किया गया था. इतना ही नहीं इसने करगिल युद्ध में अहम भुमिका निभाई थी. आज मिग-27 इतिहास हो गया है.
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दुश्मन की पोजिशन पर रॉकेट और बमों की सटीक मार से कारगिल युद्ध में पाकिस्तानी सेना को तबाह करने वाले लड़ाकू विमान मिग-27 आज देश की वायुसेना को अलविदा कह दिया। इस मौके पर जोधपुर एयरबेस पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जहां इन्हें पूरे सम्मान कि साथ विदाई दी गई। इस बारे में रक्षा मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को बताया कि विदाई समारोह में स्वाड्रन संख्या 29 के आखिरी सात मिग-27 अपनी आखिरी उड़ान भरेंगे। वहीं 31 मार्च 2020 को इनकी आधिकारिक ‘नंबर प्लेटिंग’ (सैन्य सेवा से बाहर करने की प्रक्रिया) होगी। मिग23, मिग23एमएफ और खालिस मिग-27 पहले ही सेवानिवृत्त किए जा चुके हैं।
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सबसे आखिर में विदा हो रहे मौजूदा ये मिग-27 अपग्रेडेड श्रेणी के हैं। इनका दस्ता 2006 में वायुसेना में शामिल किया गया था। मिग-27 का उपयोग 2001-02 में ऑपरेशन पराक्रम में भी हुआ था जो 1971 के बाद भारतीय सेना की सबसे बड़ी लामबंदी मानी जाती है। वायुसेना ने ट्वीट कर बताया कि मिग-27 को वायुसेना में 1985 में शामिल किया गया था।
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मिग-27 साल 1981 में पहली बार भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था. ये मिग विमान तत्कालीन सोवियत रूस से खरीदे गए थे. ये उस दौर का सबसे बेहतरीन फाइटर जेट था. ये हवा से जमीन पर हमला करने का बेहतरीन विमान था और 1700 किमी/घंटे की रफ्तार से उड़ान भरने में सक्षम था. इतना ही नहीं इन विमानों में साथ 4 हजार किलो हथियार ले जाने की क्षमता भी थी.
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हाल ही में मिग विमानों के क्रैश होने की घटनाएं बढ़ने लगी थीं. इसी साल 31 मार्च को जोधपुर में सिरोही के पास मिग-27 गिर गया था. 4 सितंबर को भी जोधपुर के पास ये विमान हादसे का शिकार हुआ था. बताया जाता है कि इस विमान के इंजन में कुछ तकनीकी खामी थी, जिसे दूर नहीं किया जा सका.
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