नई दिल्ली (एजेंसी). भारत से बौखलाया पाकिस्तान हर दिन नई साजिश रच रहा है. सोमवार को पाकिस्तान चैनलों पर 2 भारतीयों की गिरफ्तारी की खबर दिखाई गई. बताया गया कि यह दोनों बिना पासपोर्ट पाकिस्तान में घुसपैठ करते पकड़े गए. टीवी पर उनकी तस्वीर दिखाकर दावा किया गया कि दोनों भारतीय नागरिकों को पाकिस्तान के बहावलपुर में पकड़ा गया. पाक के टीवी चैनलों पर दिखाई जा रही एफआईआर के मुताबिक, पकड़े गए दो लोगों में एक का नाम प्रशांत है, जो हैदराबाद के रहने वाले हैं. दूसरा भारतीय मध्य प्रदेश निवासी वारी लाल हैं. पाकिस्तान ने इनपर आतंकवाद में शामिल होने के आरोप लगाए हैं, लेकिन सच्चाई कुछ और है.
सूत्रों से पता चला कि असल में यह दोनों भारतीय 2017 में ही गलती से सीमापार कर पाकिस्तान पहुंच गए थे. भारत ने पाकिस्तान से वारी लाल का मामला दिसंबर 2018 में उठाया था. तस्वीर के साथ वारी लाल की जानकारी भी साझा की गई, वहीं प्रशांत को लेकर इसी साल मई में पाक सरकार से जानकारी मांगी गई थी. भारत ने दोनों के लिए कांसुलर एक्सेस की मांग भी की, लेकिन पाकिस्तान ने दोनों मामलों में कोई जवाब नहीं दिया.
गिरफ्तार दो भारतीयों में से एक तेलंगाना का सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। प्रशांत वेनधाम के परिजनों का कहना है कि वह 2017 से लापता है। टीवी पर पाकिस्तान में उसके पकड़े जाने की खबर देखकर परिवार ने उसे पहचाना। 31 वर्षीय प्रशांत लापता होने से पहले माधापुर में शोर इन्फो टेक कंपनी में काम करता था। उसके पिता बाबूराव वेनधाम ने बताया, मेरा बेटा 11 अप्रैल, 2017 को सुबह 9 बजे दफ्तर के लिए निकला और घर नहीं लौटा। बेटे ने पहले एक महिला सहकर्मी के बारे में बताया था, जो उससे शादी करना चाहती थी। वह बंगलूरू में काम करती थी। बाद में पता चला कि वह स्विट्जरलैंड चली गई और प्रशांत उससे मिलना चाहता था। उसके भारत वापस आने के बाद ही सब पता चलेगा। प्रशांत के परिजन जल्द ही विदेश मंत्रालय से मदद की गुहार लगाएंगे।
सूत्रों ने कहा कि गलती से सीमापार करने वाले और भी कई मामले हैं, जो 2016/2017 से पाकिस्तान में लंबित हैं. इसमें राजस्थान के रामदास और रजनी गोथ (बिहार) के जस्सी सिंह भी शामिल है. इन सभी मामलों पर भारत पाकिस्तान से संपर्क में है. एक जानकारी के मुताबिक, मौजूदा समय में 209 भारतीय मछुआरे और 52 आम नागरिक पाकिस्तान में कैद हैं.
5 अगस्त को भारत ने आर्टिकल 370 के कई प्रावधानों को खत्म कर दिया था. पाकिस्तान ने बौखलाहट में 5 भारतीय नागरिकों और सैकड़ों भारतीय मछुआरों की रिहाई पर रोक लगा दी. हालांकि, इन सभी की नागरिकता की पुष्टि और सज़ा पूरी हो चुकी थी. 5 अगस्त को ही दो भारतीयों की रिहाई तय थी, लेकिन कश्मीर पर फैसले के बाद उन्हें अटारी से ही वापिस लौटा दिया गया.