नई दिल्ली (एजेंसी)। वायुसेना के विमान एएन-32 को लापता हुए आठ दिन हो चुके हैं। काफी कोशिशों के बाद भी विमान के बारे में कोई सुराग नहीं मिल रहा है। रविवार को वायुसेना ने एलान किया है कि विमान के बारे में जानकारी देने वाले को वह पांच लाख रुपये का ईनाम देगी। वहीं विमान में सवार जवानों के परिवार की आस हर बीतते दिन के साथ टूटती जा रही है। इसी बीच पर्वतारोहियों का सात सदस्यीय दल अब विमान की खोज में निकलेगा। इन सदस्यों में दो माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करने वाले पर्वतारोही भी शामिल हैं। बीते सोमवार को विमान ने असम के जोरहाट से उड़ान भरी थी और अरुणाचल प्रदेश में मेनचुका के पास लापता हो गया था। यह स्थान चीन सीमा के पास है। अरुणाचल प्रदेश के अधिकारी ताका तामूत और किशन तेकसेंग ने 2018 में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की थी, वह भी विमान को खोजने के अभियान में जुट गए हैं। दोनों अरुणाचल प्रदेश के सियांग और अपर सियांग जिलों से ताल्लुक रखते हैं। इसके अलावा वह स्थानीय भौगोलिक स्थिति को अच्छी तरह से जानते हैं।
सियांग के पुलिस अधीक्षक कुशल पाल सिंह ने कहा, ‘वह रविवार सुबह छह बजे निकल गए थे। दो माउंटर अवरेस्ट पर चढ़ाई करने वालों के अलावा टीम में पांच अन्य सदस्य शामिल हैं जिन्होंने एडवेंचर टूरिज्म किया हुआ है। टीम स्वेच्छा से बचाव अभियान में शामिल हुई है। सात सदस्यीय टीम उन छह ग्राउंड टीम में से एक है जिसे सियांग जिले के पायूम सर्कल के जंगलों में भेजा गया है। बाकी टीम कायिंग सर्कल में गई है। यह दो ऐसी जगह हैं जहां विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने की संभावना है।’
सिंह ने कहा, ‘पायूम सर्कल में एक गांवावले ने कहा था कि उसने बहुत कम ऊंचाई पर एक विमान को उड़ते हुए देखा था। हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हुई है कि यह वही विमान था या कोई और।’ इससे पहले तुमबिन बस्ती के गांववालों ने कहा था कि उन्होंने तीन जून को कुछ दूरी पर काला धुंआ देखा था। इसी दिन विमान लापता हुआ था लेकिन सिंह का कहना है कि ग्राउंड टीम को वहां कुछ नहीं मिला।
उन्होंने कहा, ‘यह एक बहुत घना जंगल है जहां विमान के खो जाने की आशंका है। पुलिस, सेना और पैरामिलिट्री के जवान स्थानीय लोगों की मदद से जंगल के अंदर प्रवेश कर सकते हैं। जंगल में एक दिन में 20 किलोमीटर की दूरी तय करना मुश्किल है। शिलांग से वायुसेना ने बयान जारी करके कहा है कि उसे लापता विमान के बारे में कोई सुराग नहीं मिला है। खोज का क्षेत्र पर्वतीय है और घने जंगलों से घिरा हुआ है। खराब मौसम खोज अभियान को प्रभावित कर रहा है।’