नई दिल्ली(एजेंसी): चीनी सेना की एलएसी में घुसपैठ रोकने के लिए भारतीय सेना वॉर्निंग फायरिंग यानी चेतावनी देने के लिए फायरिंग की है. घटना लद्दाख के पेंगोंग लेक के दक्षिण की है. भारतीय सेना के सूत्रों ने साफ कहा है कि भारत ने सिर्फ एलएसी में घुसपैठ रोकने के लिए चेतावनी देने के लिए फायरिंग की.
बता दें कि भारत-चीन सीमा पर 45 साल बाद फायरिंग हुई है. एलएसी पर आखिरी बार अक्टूबर 1975 में गोलीबारी की घटना अरूणाचल प्रदेश में हुई थी. 15 जून में गलवान झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे. इस झड़प में भी भारत ने संयम रखा और गोलीबारी नहीं की थी.
गलवान की झड़प के बाद भारत ने अब ‘रूल ऑफ इंगेजमेंट’ बदल दिए. यानि अब जरूरत पड़ने पर फायरिंग भी की जा सकती है. इसी के तहत पहली बार फायरिंग हुई है.
सूत्रों के मुताबिक, पैंगोंग त्सो झील के दक्षिण में चीनी सेना घुसपैठ की कोशिश कर रही थी. जिसे रोकने के लिए भारतीय सेना ने वार्निंग-शॉट्स फायर किए. हालांकि, सेना का आधिकारिक बयान इस पूरे मामले पर आना बाकी है.
चीनी सेना का आरोप है कि उसकी टुकड़ई पैट्रोलिंग कर रही थी, इसी दौरान आमना सामना होने पर भारत ने फायरिंग की. जिसके जवाब में चीनी सेना ने भी काउंटर-मेज़र्स लिए. घटना में अभी तक किसी के हताहत होने की खबर नहीं है.
भारतीय सेना की ओर से वॉर्निंग फायर पर चीनी सेना की वेसटर्न कमांड ने बयावन जारी किया है. वेस्टर्न कमांड के प्रवक्ता ने अपने बयान में कहा, ”गॉड पाउ माउंटेन इलाके में भारतीय सेना ने घुसपैठ की. कार्रवाई के दौरान भारतीय सेना ने गोलीबारी से धमकाया. चीनी सैनिकों को स्थिति सामान्य करने के लिए जवाबी कार्रवाई करने के लिए मजबूर होना पड़ा.”
बयान में आगे बताया गया, ”भारत के इस कदम ने भारत औऱ चीन के बीच समझौतों को तोड़ा है, जिससे क्षेत्क में तनाव बढ़ गया और गलतफहमी की गुंजाइश बढ़ गई है. ये बेहद खतरनाक सैन्य उकसावे वाली कार्रवाई है.” चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने भी भारत के सानिकों पर गोलीबारी करने का आरोप लगाया है.