नई दिल्ली(एजेंसी): केंद्र सरकार ने लोन लेने वाले इंडिविजुअल और एमएसएमई को बड़ी राहत दी है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट दाखिल कर कहा है कि वह मोरेटोरियम अवधि के छह महीनों के ब्याज पर ब्याज की माफी को तैयार है। हालांकि, इस ब्याज माफी का लाभ केवल दो करोड़ रुपए तक के लोन पर मिलेगा। इसके अलावा जिन लोगों ने मार्च से अगस्त तक के बकाया का भुगतान कर दिया है, उन्हें भी ब्याज पर ब्याज की माफी का लाभ मिलेगा।
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वित्त मंत्रालय की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एफिडेविट में कहा गया है कि सरकार छोटे कर्जदारों का साथ निभाने की परंपरा जारी रखेगी। एफिडेविट के मुताबिक, ब्याज पर ब्याज या कंपाउंड इंटरेस्ट की माफी से बैंकों पर पड़ने वाला बोझ सरकार उठाएगी। सरकार ने कहा है कि इसके लिए संसद की मंजूरी ली जाएगी।
एमएसएमई लोन
एजुकेशन लोन
हाउसिंग लोन
कंज्यूमर ड्यूरेबल लोन
क्रेडिट कार्ड ड्यू
ऑटो लोन
प्रोफेशनल्स का पर्सनल लोन
कंजप्शन लोन
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एक याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से मोरेटोरियम अवधि यानी 6 महीने के सारे ब्याज को समाप्त करने की मांग की थी। वित्त मंत्रालय ने एफिडेविट में कहा है कि यदि सभी प्रकार के लोन की मोरेटोरियम अवधि का ब्याज माफ किया जाता है तो इससे छह लाख करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा। इससे बैंकों की कुल नेटवर्थ में बड़ी कमी आ जाएगी। यही कारण है कि केवल 2 करोड़ या इससे कम वाले लोन के ब्याज पर ब्याज की माफी का फैसला लिया गया है। दो करोड़ रुपए से ज्यादा के लोन पर कोई छूट नहीं मिलेगी।
बैंकर्स का कहना है कि केंद्र की योजना के तहत ब्याज पर ब्याज की माफी से पांच से छह हजार रुपए का बोझ पड़ेगा। अगर सभी वर्गों के कर्जदारों को ब्याज पर ब्याज की माफी दी जाती है तो इससे 15 हजार करोड़ रुपए तक का बोझ पड़ेगा। बैंकर्स का कहना है कि केंद्र सरकार इस ब्याज माफी को अपने सोशल वेलफेयर उपायों के तहत कंपनसेट कर सकती है।
हालांकि, वित्त मंत्रालय के एफिडेविट में मोरेटोरियम अवधि के दौरान ईएमआई या क्रेडिट कार्ड के ड्यू का भुगतान करने वालों के लिए किसी लाभ को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है।
केंद्र सरकार ने पूर्व कैग राजीव महर्षि की अध्यक्षता वाली कमेटी की सिफारिशों को पलटते हुए ब्याज पर ब्याज की माफी का फैसला किया है। इस कमेटी ने ब्याज पर ब्याज को माफ नहीं करने की सिफारिश की थी।
कोरोना संक्रमण के आर्थिक असर को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मार्च में तीन महीने के लिए मोरेटोरियम (लोन के भुगतान में मोहलत) की सुविधा दी थी। शुरुआत में इसे 1 मार्च से 31 मई तक तीन महीने के लिए लागू किया गया था। बाद में आरबीआई ने इसे तीन महीनों के लिए और बढ़ाते हुए 31 अगस्त तक के लिए लागू कर दिया था। यानी कुल छह महीने की मोरेटोरियम सुविधा दी गई थी।
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जब किसी प्राकृतिक या अन्य आपदा की वजह से कर्ज लेने वालों की वित्तीय हालत खराब हो जाती है, तो कर्ज देने वालों की ओर से भुगतान में कुछ समय के लिए मोहलत दी जाती है। कोरोना संकट के कारण देश में भी लॉकडाउन लगाया गया था। इस कारण बड़ी संख्या में लोगों के सामने रोजगार का संकट पैदा हो गया था। इस संकट से निपटने के लिए आरबीआई ने छह महीने के मोरेटोरियम की सुविधा दी थी। इस अवधि के दौरान सभी तरह के लोन लेने वालों को किश्त का भुगतान करने की मोहलत मिल गई थी।
मोरेटोरियम की अवधि बढ़ाने और ब्याज पर ब्याज की माफी को लेकर कई लोगों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। 28 सितंबर को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने ब्याज पर ब्याज माफी पर फैसला करने के लिए कोर्ट से समय मांगा था। केंद्र सरकार ने कहा था कि वह अपने फैसले को लेकर दो-तीन दिन में एफिडेविट दाखिल कर देगी। अब इस मामले में 5 अक्टूबर सोमवार को सुनवाई होगी। इसी दिन कोर्ट ब्याज पर ब्याज की माफी को लेकर फैसला दे सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने 3 सितंबर को कहा था कि लोन का भुगतान नहीं करने वाले बैंक खातों को दो महीने या अगले आदेश तक एनपीए घोषित नहीं किया जाए। 28 सितंबर को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि बैंक खातों को दो महीने तक एनपीए घोषित नहीं करने का आदेश जारी रहेगा। यानी बैंक 3 नवंबर तक भुगतान नहीं करने वाले खातों को एनपीए घोषित नहीं कर सकेंगे।
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