नई दिल्ली(एजेंसी ) : 2019 के आखिर में चीन के वुहान शहर से फैला कोरोना वायरस पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले चुका है. वायरस के फैलाव को रोकने के लिए जगह-जगह लॉकडाउन, भीड़भाड़ वाली जगहों को बंद किया जा रहा है. पूरी दुनिया की नजर इसके वायरस की रोकथाम पर लगी है. सारी गतिविधियों को रोक कर सिर्फ और सिर्फ लोगों के इलाज पर ध्यान दिया जा रहा है. एक आंकड़े के मुताबिक इसके संक्रमण के चलते करीब 14 हजार से ज्यादा लोगों ने जान गंवा दी है. लाखों लोग अस्पताल में आइसोलेट किये जा चुके हैं. मगर एक सौ साल पहले भी इससे भी घातक बीमारी ने दुनिया को हिला दिया था. जिसके बारे में बहुत कम जानकारी लोगों को पता है.
प्रथम विश्व युद्ध के बाद अचानक दुनिया में फ्लू की बीमारी फैल गई. देखते-देखते उस वक्त करीब दो करोड़ लोग इसका शिकार हो गये. इस फ्लू को उस वक्त नाम दिया गया ‘स्पेनिश फ्लू’. जानलेवा बीमारी के फलने फूलने का केंद्र था फ्रांस की सीमा से लगा इलाका. जहां गंदगी, फौज के तंग खंदक और भीड़भाड़ वाले कैंप थे. विश्व युद्ध के खात्मे के बाद फौजी अपने साथ वायरस को लेकर घरों को लौटे. और फिर देखते-देखते 5-10 करोड़ मौत की आगोश में समाते चले गये. हालांकि उस वक्त आवागमन के साधनों की कमी होने के कारण इसके फैलने की रफ्तार बहुत कम थी. मगर स्पेनिश फ्लू की मारत क्षमता बहुत तेज थी. जिस कोरोना वायरस से पूरी दुनिया आज अवाक है स्पेनिश फ्लू के मुकाबले इसकी भवायहता कुछ भी नहीं है.
ऐसे में सवाल पैदा होता है कि जब दुनिया पहले ही एक घातक बीमारी का सामना कर चुकी थी तो उसने उससे क्या सीखा ? कोविड-19 से संक्रमण शरीर के प्रतिरोधक क्षमता के कमजोर होने के कारण होता है. इससे मरनेवालों के स्वास्थ्य पर एक नजर डालने से यही पता चलता है कि मृतक किसी ना किसी बीमारी से पहले से ग्रसित थे. ये मरीज संक्रमण के लिए काफी संवेदनशील थे. कोविड-19 एक नया वायरस है. इससे पहले इस वायरस के बारे में पता नहीं चल सका था. इसके संक्रमण के वास्तविक स्रोत की जानकारी अभी तक सामने नहीं आई है. कोरोना वायरस वायरस के लंबे परिवार का हिस्सा है. वुहान में जब इसका मामला सामने आया तो विशेषज्ञों ने इसका संबंध जानवरों से जोड़ा. मगर बाद में ये वायरस इंसानों से इंसानों तक में फैलता चला गया. कोरोना वायरस का लक्षण बुखार, सांस लेने में दुश्वारी और खांसी है.