नई दिल्ली (एजेंसी). हैदराबाद में महिला डॉक्टर के साथ जो हुआ, उसने हिंदुस्तान के हर नागरिक की आंख में आंसू ला दिए. देश में एक बार नारी शक्ति की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो रहे हैं, लोग इंसाफ की गुहार लगाने के लिए सड़कों पर हैं और गुनाहगारों को फांसी की सजा देने की मांग कर रहे हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हिंदुस्तान में आखिरी बार कब किसी रेपिस्ट को फांसी की सज़ा दी गई थी या अभी हमारे देश में कितने रेप हुए हैं जिन्होंने हमें शर्मसार किया है.
14 अगस्त, 2004 को किसी रेपिस्ट को आखिरी बार फांसी की सजा दी गई थी. नाबालिग छात्रा का रेप कर उसकी हत्या करने के जुर्म में धनंजय चटर्जी को फांसी दी गई थी. धनंजय को कोलकाता के अलीपुर जेल में फांसी दी गई थी, इस बात को 15 साल हो गए हैं. तब से लेकर आज तक देश में 4 लाख से अधिक रेप हो गए हैं, लेकिन लगता है कि कुछ बदला नहीं है. और इन 15 साल में किसी दूसरे रेपिस्ट को फांसी नहीं हुई है.
धनंजय चटर्जी को जब फांसी हुई, तब केंद्र में नई-नई यूपीए की सरकार आई थी और मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने थे. और डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम राष्ट्रपति थे, धनंजय चटर्जी ने राष्ट्रपति के सामने फांसी से छूट की गुहार भी लगाई थी लेकिन राष्ट्रपति ने उसे ठुकरा दिया.
सात साल पहले 2012 में जब पूरा देश गुस्से में था, तब निर्भया केस को फास्ट ट्रैक कोर्ट में भेजा गया. फास्ट ट्रैक कोर्ट ने सिर्फ 9 महीने के अंदर अपना फैसला भी सुना दिया. 13 सितंबर 2013 में निर्भया के गुनाहगारों को फांसी देने का वो फैसला आज छह साल बाद भी अपने अंजाम का इंतजार कर रहा है.
देश में हर साल 40 हज़ार, हर रोज़ 109 और हर घंटे 5 लड़कियों की अस्मत लूट ली जाती है. इस देश में जीडीपी गिरने की खबरें आती हैं लेकिन कभी ऐसा नहीं हुआ कि रेप के मामलों में कमी आई हो.
देशभर में इस वक्त आईपीसी की अलग-अलग धाराओं के तहत लगभग तीन करोड़ मामले ऐसे हैं जो अलग-अलग अदालतों में फैसले का इंतजार कर रहे हैं. इनमें से अकेले तीस लाख से ज्यादा केस तो देश के 21 हाईकोर्ट में लंबित पड़े हैं. और सबसे अहम बात ये कि इनमें से डेढ़ लाख से भी ज्यादा केस सिर्फ और सिर्फ रेप के हैं.