इस प्रकार करें ईष्ट की विधिवत उपासना मिलेगी कष्टों से मुक्ति
(अविरल समाचार). नव संवत्सर श्री संवत 2076, ‘परीधावी‘ शनिवार 6 अप्रैल से प्रारम्भ हो रहा है| भारतीय प्राचीन कल गणना पद्धति के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नव वर्ष प्रारंभ होता है, जिसे नव संवत्सर भी कहते हैं| ‘अमरकोश’ नामक ग्रन्थ में संवत्सर को परिभाषित कराते हुए लिखा गया है कि किसी एक ॠतु के प्रारंभ होने की तिथि से लेकर पुन: उसी ॠतु के प्रारंभ की तिथि का काल संवत्सर कहलाता है| ज्योतिष शास्त्र के दृष्टी से गुरु का राशि परिवर्तन का काल संवत्सर कहलाता है| ‘मानसागरी’में कुल साठ संवत्सरों का उल्लेख है, याने किसी भी संवत्सर की पुनरावृत्ति इकसठ्वें वर्ष में होती है|
शनिवार 6 तारीख को प्रारंभ हो रहा नव संवत्सर, ‘प्लवंग’ व्यक्ति, परिवार, समाज और राष्ट्र की प्रगति और वैश्विक एकता की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है| हर नव संवत्सर की तरह ईसा संवत्सर का राजा, मन्त्री औरा पूरा मन्त्री मण्डल है|
राजा: शनि: ईस नव संवत्सर का राजा संकेत दे रहा है कि व्यक्तियों के मानसिक सामंजस्य की दृष्टि से यह वर्ष बहुत महत्वपूर्ण होगा| लेकिन पृथ्वी की जलवायु पर वर्षा और जल संबन्धी नकारात्मक पराभव बढेगा| जल उत्प्लावन, बाढ औरा सुनामी जैसी घटनायें हो सकती हैं|
मन्त्री: सूर्य: चन्द्र के ही मन्त्री होने से वर्षो से चली आ रही वैचारिक मतभेद की घटनाओं पर विराम लगेगा| कई राष्ट्र मतभेदों के बावजूद करीब आयेंगे|
इस प्रकार करें ईष्ट की विधिवत उपासना मिलेगी कष्टों से मुक्ति
विभिन्न राशियों की दृष्टि से यह वर्ष कुछ ईस प्रकार होगा। अपने ईष्ट की विधिवत उपासना से कष्टों से मुक्ति मिलेगी:
1. मेष: शुभकारक, विरोधियों का पराभव|
2. वृषभ: सामान्य, कष्टकर्क, आकस्मिक धनलाभ|
3. मिथुन: स्वास्थ्य संबन्धी चिन्ता, स्वजनों से मन मुटाव|
4. कर्क: शुभ, न्याय हेतु व्यय, धैर्य का अभाव|
5. सिंह: कष्टपारद, रोग, पदोन्नति की सम्भावना|
6. कन्या: सामंजस्य का अभाव, धनलाभ, अनबन|
7. तुला: पदोन्नति, स्वास्थ्य का ध्यान रखें, धनलाभ|
8. वृश्चिक:मानसिक अशांति,न्यायिक कार्यों मे सफलता|
9. धनु:शुभ,प्रतिष्ठा में वृद्धि, पदोन्नति|
10. मकर: सामान्य, विरोधियों का प्रभाव बढेगा|
11. कुम्भ:शुभ, आकस्मिक धनलाभ, मांगलिक कार्य|
12. मीन:सामान्य, मानसिक क्लेश, दाम्पत्य जीवन पर ध्यान दें|
इस प्रकार करें ईष्ट की विधिवत उपासना मिलेगी कष्टों से मुक्ति
ज्योतिषाचार्य डॉ.दत्तात्रेय होस्केरे
(अविरल समाचार). नव संवत्सर श्री संवत 2076, ‘परीधावी‘ शनिवार 6 अप्रैल से प्रारम्भ हो रहा है| भारतीय प्राचीन कल गणना पद्धति के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नव वर्ष प्रारंभ होता है, जिसे नव संवत्सर भी कहते हैं| ‘अमरकोश’ नामक ग्रन्थ में संवत्सर को परिभाषित कराते हुए लिखा गया है कि किसी एक ॠतु के प्रारंभ होने की तिथि से लेकर पुन: उसी ॠतु के प्रारंभ की तिथि का काल संवत्सर कहलाता है| ज्योतिष शास्त्र के दृष्टी से गुरु का राशि परिवर्तन का काल संवत्सर कहलाता है| ‘मानसागरी’में कुल साठ संवत्सरों का उल्लेख है, याने किसी भी संवत्सर की पुनरावृत्ति इकसठ्वें वर्ष में होती है|
शनिवार 6 तारीख को प्रारंभ हो रहा नव संवत्सर, ‘प्लवंग’ व्यक्ति, परिवार, समाज और राष्ट्र की प्रगति और वैश्विक एकता की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है| हर नव संवत्सर की तरह ईसा संवत्सर का राजा, मन्त्री औरा पूरा मन्त्री मण्डल है|
राजा: शनि: ईस नव संवत्सर का राजा संकेत दे रहा है कि व्यक्तियों के मानसिक सामंजस्य की दृष्टि से यह वर्ष बहुत महत्वपूर्ण होगा| लेकिन पृथ्वी की जलवायु पर वर्षा और जल संबन्धी नकारात्मक पराभव बढेगा| जल उत्प्लावन, बाढ औरा सुनामी जैसी घटनायें हो सकती हैं|
मन्त्री: सूर्य: चन्द्र के ही मन्त्री होने से वर्षो से चली आ रही वैचारिक मतभेद की घटनाओं पर विराम लगेगा| कई राष्ट्र मतभेदों के बावजूद करीब आयेंगे|
इस प्रकार करें ईष्ट की विधिवत उपासना मिलेगी कष्टों से मुक्ति
विभिन्न राशियों की दृष्टि से यह वर्ष कुछ ईस प्रकार होगा। अपने ईष्ट की विधिवत उपासना से कष्टों से मुक्ति मिलेगी:
1. मेष: शुभकारक, विरोधियों का पराभव|
2. वृषभ: सामान्य, कष्टकर्क, आकस्मिक धनलाभ|
3. मिथुन: स्वास्थ्य संबन्धी चिन्ता, स्वजनों से मन मुटाव|
4. कर्क: शुभ, न्याय हेतु व्यय, धैर्य का अभाव|
5. सिंह: कष्टपारद, रोग, पदोन्नति की सम्भावना|
6. कन्या: सामंजस्य का अभाव, धनलाभ, अनबन|
7. तुला: पदोन्नति, स्वास्थ्य का ध्यान रखें, धनलाभ|
8. वृश्चिक:मानसिक अशांति,न्यायिक कार्यों मे सफलता|
9. धनु:शुभ,प्रतिष्ठा में वृद्धि, पदोन्नति|
10. मकर: सामान्य, विरोधियों का प्रभाव बढेगा|
11. कुम्भ:शुभ, आकस्मिक धनलाभ, मांगलिक कार्य|
12. मीन:सामान्य, मानसिक क्लेश, दाम्पत्य जीवन पर ध्यान दें|