चैत्र नवरात्र : कैसे करें माँ की नौ दिवसीय सरल आराधना

नारायणी नमोस्तुते : चैत्र नवरात्र 6 अप्रेल से

ज्योतिषाचार्य डॉ.दत्तात्रेय होस्केरे

(अविरल समाचार).  भारतीय संस्कृति में प्रकृति और नारी को समान दृष्टि से देखा गया है। कारण यह है कि प्रकृति के सभी गुण नारी से समानता रखते है। प्रकृति जननी है, धैर्य की पराकाष्ठा है, ऐसा लगता है मानो सुन्दरता की आदर्श पर्यायवाची भी प्रकृति ही है। समानता होने से प्रकृति के साथ मानव जो व्यव्हार कर रहा है वही व्यव्हार नारी के साथ भी हो रहा है। हम सभी का जीवन और इस से सम्बंधित प्रत्येक क्रिया हमारे हृदय के स्पन्दन और उस से क्रियाशील रक्त के संचरण पर आधारित है| हृदय के स्पन्दन से जीवन और उसके रुकने पर जीवन का अंत स्वाभाविक और सबसे बडा सत्य है| याने जीवन और मृत्यु सत्य के प्रतिनिधित्वकारी तथ्य है|  भारतीय आध्यात्म में सत्य और शक्ति दोनो को ही एक दूसरे का पूरक माना गया है। याने केवल सत्य या केवल शक्ति से  परिवार, समाज और राष्ट्र की उन्नति नही हो सकती। तभी हम सत्य के प्रतीक शिव और शक्ति स्वरूपा गौरी की एक साथ आराधना करते हैं।

आज से नवरात्रि का शुभारम्भ हो रहा है, याने नौ दिवसीय शक्ति की आराधना का अवसर। इन नौ दिनो में माता के विभिन्न स्वरूपों की नौ दिवसीय आराधना से ‘नवधा’ भक्ति और उसमे अंतर्निहित  शक्ति का अर्जन करने का ये अद्वितीय अवसर हमे प्राप्त होता है।हांलाकि ये नौ दिन पुरुष और नारी दोनो के लिये ही समान अवसर ले कर आते हैं, लेकिन विशेष लाभ की यदि बात करें तो प्रत्येक ‘शक्ति स्वरूपा नारी’ चाहे वह किसी भी आयु की क्यों न हो, के लिये ये नौ दिन स्वयं को विकसित करने, ऊर्जावान करने और अत्याचार के विरुद्ध सशक्त बनाने के लिये एकदम उपयुक्त होते हैं।

शनिवार 6 अप्रैल को चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा है, याने चैत्र नवरात्रि का शुभारम्भ है| | रेवती  नक्षत्र में स्थिर  योग की युति में प्रारम्भ हो रही नवरात्री में तृतीया ,चतुर्थी , पंचमी  और षष्ठी को क्रमश: प्रीति,आयुष्मान,सौभाग्य और शोभन जैसे शुभ योग पड़ रहें हैं, जो की पिछले कई वर्षों में नही पड़े| यह नवरात्री पूरे नौ दिनों की है|

कलश स्थापन मुहुर्त

6 अप्रेल को प्रात: 7.21 बजे तक पंचक प्रवृत्ति होने से इस समय तक कलश की स्थापना न करें| कलश स्थापना के लिए चार मुहूर्त प्रातः, दोपहर और रात्रि आप इन समयों में सी कभी भी स्थापना कर सकते हैं. मुहूर्त इस प्रकार हैं :-

1.प्रात: 8.03 बजे से 10.02 बजे तक वृषभ लग्न में।

2. अभिजित मुहुर्त : प्रात:11.36 बजे से दोपहर 12.25 बजे तक।

3. दोपहर 2.29 बजे से 4.40 बजे तक सिंह लग्न में।

4.रात्री 9.01 से 11.17 बजे तक वृश्चिक लग्न में |

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