हज यात्रा : जानिए- क्या है चयन प्रक्रिया और हज के दौरान के प्रोटोकॉल

नई दिल्ली(एजेंसी). हज यात्रा : मुस्लिम समुदाय के लिए हज फर्ज होता है. हर मुस्लिम अपने जीवन में एक बार हज पर जाने की तमन्ना रखता है. हर साल बड़ी तादाद में भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और इंडोनेशिया से मुसलमान हज की यात्रा पर जाते हैं. पिछले साल सिर्फ भारत से दो लाख से ज्यादा लोग हज के लिए सऊदी अरब गए थे. लेकिन इस साल कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के कारण दुनियाभर के मुसलमान हज पर नहीं जा सकेंगे. सऊदी अरब ने इस साल हज के लिए कई कड़े नियम बनाए हैं और नया प्रोटोकॉल भी जारी किया है.

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हज यात्रा हर मुसलमान का सपना होता है, लेकिन इस साल सिर्फ सऊदी अरब में रह रहे मुसलमान ही हज के अपने सपने को साकार कर सकेंगे. हालांकि, सरकार ने सऊदी में रह रहे ग़ैर-सऊदी नागरिकों पर भी ध्यान दिया है. नए नियमों के मुताबिक, सऊदी अरब में रह रहे 70 फीसद सऊदी और 30 फीसद गैर-सऊदी लोग हाजी बन सकेंगे. साफ है कि सऊदी अरब ने इस बार सीमित संख्या में ही हज के लिए अनुमति दी है. सिर्फ एक हजार लोग ही इस बार हाजी बन सकेंगे. हालांकि, इसमें स्वास्थ्यकर्मियों और सुरक्षाकर्मियों को वरीयता दी जाएगी.

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हज यात्रा के नए प्रोटोकॉल के अनुसार, हज के दौरान खाना-ए-काबा को छूने की अनुमति नहीं होगी. इसके साथ ही तवाफ के दौरान सभी को डेढ़ मीटर की दूरी भी रखनी होगी. वहीं सामूहिक नमाज़ में भी सोशल डिस्टेंसिंग को फॉलो करना अनिवार्य रहेगा. इसी के साथ प्रोटोकॉल में कहा गया है कि हज के दौरान मोना, मुजदलिफा और अराफात तक वो लोग ही जा पाएंगे जिनके पास हज परमिट होगा. हज के दौरान यात्रियों के साथ-साथ आयोजकों और कर्मचारियों को भी हर समय फेस मास्क लगाने को कहा गया है. वहीं हज से पहले और बाद में क्वारंटाइन भी अनिवार्य किया गया है.

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मुसलमानों के लिए हज फर्ज होने के कारण हर साल दुनियाभर के करीब 20 लाख मुसलमान हज के लिए सऊदी अरब पहुंचते थे. ऐसे में इतनी बड़ी संख्या में लोगों के जुटने की वजह से संक्रमण का खतरा काफी बढ़ जाता, इसलिए सरकार ने हाजी की संख्या सीमित कर दी.

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