भूपेश बघेल की ताजपोशी पर विशेष
ख्यातिनाम शायर साहिर लुधियानवी की ये पंक्तियाँ “हजार बर्क गिरे लाख आंधियां उठें, वो फूल खिल के रहेंगे जो खिलने वाले हैं….” छत्तीसगढ़ के नए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर पूरी तरह फिट बैठती है. उन्होंने जिस कठिन दौर में कांग्रेस की कमान संभाली और उसे सत्ता के सिंहासन पर आसीन किया वह किसी से छुपा नहीं हैं. और जिस समय वे इस काँटों के ताज को पहनने जा रहे है वो भी कम चुनौती पूर्ण नहीं है. बड़े-बड़े वादे और खाली खजाना. प्रश्न कई है. कैसे पूरी होंगी घोषणा ? क्या कांग्रेस को लोकसभा में भी मिलेगी सफलता ? विरोधी काम करने देंगे क्या ? और जवाब केवल एक वो है भूपेश बघेल.
भूपेश बर्क से बचे, आंधी झेली और सत्ता का फूल खिला दिया. किसान, मजदूर, आदिवासी, बेरोजगारी के मुद्दे सत्ता का फूल तो खिल गया अब उसमे खुशबू लाना और उससे प्रदेश को महकाना बड़ी बात होगी. साथ ही कांग्रेस के इस गढ़ को न केवल सहेजना, संवारना होगा बल्कि उन तमाम कयासों को भी धत्ता बताना होगा जो उनके बारे में लगाये जा रहें हैं कि आक्रमक शैली में काम करने वाले बघेल केंद्र से कैसे तालमेल बैठा पायेंगे. क्योंकि मोदी भी अपनी नीतियों और वाक्चातुर्य से विपक्ष को चारोखाने चित करने में माहिर है.
कहते है की जब आंधी चलती है तो सब कुछ उड़ा ले जाती है. प्रदेश में भाजपा के सर से ताज गया. इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता की डॉ. रमन सिंह ने प्रदेश को एक मुकाम तक ला खड़ा किया. आज देश के तेजी से विकसित होते राज्यों में छत्तीसगढ़ है. भले ही औद्योगिक विकास न हुआ हो लेकिन बेहतर अधोसंरचना तो है. ठेठ छत्तीसगढ़ीया बघेल इसे किस दिशा में ले जाते है ये देखने वाली बात होगी. क्या छत्तीसगढ़ की माटी की सुरभि देश में फैलेगी या कांग्रेस की पुरानी संस्कृति के तले कसमसाती रहेगी ? बहरहाल इन सभी बातो का जवाब यदि मिलेगा तो वो होंगे भूपेश बघेल और उनकी कार्यशैली.
बधाई बघेल जी आप प्रदेश में भी विकास का फूल इन तमाम कठिन चुनौतियों को पार करते हुए खिलायें और इसकी महक आपके आभा मंडल को भी द्विगुणित करें यही कामना हैं.
और अंत में ये दो लाइने
“फितरत किसी की ना आजमाया कर ऐ जिंदगी !
हर शख्स अपनी हद में बेहद लाजवाब होता है….” ।
मनीष वोरा
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विशलेषक हैं.)