गोवा (एजेंसी)। कैंसर से जूझ रहे गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर का रविवार को निधन हो गया है। गोवा के मुख्यमंत्री और देश के रक्षा मंत्री रहे मनोहर पर्रिकर सियासत में सादगी की जीती-जागती मिसाल थे। मुख्यमंत्री कार्यालय के अनुसार, उनका पार्थिव शरीर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कार्यालय और प्रदेश के कला-संस्कृति केंद्र में सुबह एवं दोपहर में रखा जाएगा, ताकि लोग उनके अंतिम दर्शन कर सकें और श्रद्धांजलि दे सकें। इसके बाद पार्थिव शरीर को अंत्येष्टि के लिए शाम 5 बजे गोवा खेल प्राधिकरण के मैदान में ले जाया जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सोमवार को राष्ट्रीय शोक और राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्टि की घोषणा की है। मनोहर पर्रिकर की अंतिम यात्रा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, गृह मंत्री राजनाथ सिंह, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के अलावा कई केंद्रीय मंत्री, राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल होंगे।
पर्रिकर का जन्म साल 1955 में गोवा के मापुसा गांव में हुआ था। उन्होंने लोयोला हाई स्कूल से शुरुआती शिक्षा हासिल की थी। परिकर मुख्यमंत्री बनने वाले देश के पहले आईआईटियन हैं। 1978 में उन्होंने आईआईटी मुंबई से मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की थी। 2001 में आईआईटी बांबे ने उन्हें एल्यूमिनी अवॉर्ड से सम्मानित किया था। एक आईआईटियन इंजीनियर के तौर पर तकनीक के बेहद करीब रहे गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर परिकर जिंदगी की आखिरी सांस तक भी इससे दूर नहीं रहे। कैंसर से लड़ने के दौरान भी अपने अधिकृत ट्विटर हैंडल पर परिकर ने लगातार सक्रियता बनाए रखी।
मनोहर पर्रिकर की छवि हमेशा सादगी भरी रही। मीडिया में मनोहर पर्रिकर को अक्सर स्कूटर पर यात्रा करने वाले नेता के तौर पर पेश किया जाता रहा। बतौर मुख्यमंत्री वो बिना किसी की फिक्र किए स्कूटर से भी ऑफिस पहुंच जाते थे। लोग उन्हें स्कूटर वाला मुख्यमंत्री भी कहते थे।
पर्रिकर को साइकिल चलाना भी बेहद पसंद था। वो खाली वक्त में साइकिल चलाया करते थे। परिकर आधी बांह की शर्ट पहनना पसंद करते थे। हवाई चप्पल और हाफ शर्ट उनकी पहचान थी। उन्हें वीआईपी कल्चर पसंद नहीं था, यही वजह थी कि वो रेस्तरां की बजाय फुटपाथ पर चाय-नाश्ता किया करते थे। यहीं से मोहल्लों की खबर जुटा लिया करते थे। वह कहते थे, “चाय स्टॉल पर सभी नेताओं को चाय पीनी चाहिए, राज्य की सारी जानकारी यहां मिल जाती हैं।”
डॉ. मनोहर गोपालकृष्णन प्रभु पर्रिकर चार बार गोवा के मुख्यमंत्री रहे। पहली बार 2000 से 2002 तक, दूसरी बार 2002 से 2005, तीसरी बार 2012 से 2014 और चौथी बार 14 मार्च 2017 से अब तक। 2017 में जब भाजपा गोवा विधानसभा चुनाव में बहुमत से दूर थी, तब दूसरे दलों ने परिकर को मुख्यमंत्री बनाने की शर्त पर ही समर्थन दिया था। चार बार निर्वाचित होने के बाद भी मुख्यमंत्री के तौर पर एक भी कार्यकाल पूरा न कर सके।
2013 में जब गोवा में भाजपा अधिवेशन शुरू हुआ। पूरे देश में बहस छिड़ी हुई थी कि मोदी पीएम पद के उम्मीदवार होंगे या नहीं। पर भाजपा की ओर से मोदी का नाम कोई खुलकर आगे बढ़ाने को तैयार नहीं था। इसी अधिवेशन के मंच से पहली बार पर्रिकर ने मोदी के नाम को पीएम पद के उम्मीदवार के लिए प्रस्तावित किया।
मोदी 2014 में प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने पर्रिकर से रक्षा मंत्री का पद संभालने को कहा। शुरुआत में परिकर राजी नहीं थे, फिर उन्होंने 2 महीने का समय मांगा और फिर दिल्ली आ गए। पर्रिकर की बेदाग छवि और सादगी की वजह से पीएम मोदी उन्हें गोवा से केंद्र की राजनीति में लेकर आए थे।
पर्रिकर के रक्षा मंत्री रहते ही 28-29 सितंबर 2016 को भारतीय सेना ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक कर पाकिस्तान और आतंकियों को सबक सिखाया था।
मनोहर पर्रिकर ढाई साल तक देश के रक्षा मंत्री रहे। उस दौरान वो सेना का मनोबल बढ़ाने के लिए बराबर उनके बीच पहुंच जाते थे।
गोवा की राजनीति में मनोहर पर्रिकर की मजबूत पकड़ थी। अपनी सादगी की वजह से वो जनता में बेहद लोकप्रिय थे। कई बार कार्यकर्ताओं की बाइक पर ही बैठकर क्षेत्र में लोगों से मिलने निकल पड़ते थे।
चार बार गोवा के मुख्यमंत्री रहे मनोहर पर्रिकर ने कभी भी अपने आपको हाईप्रोफाइल दिखाने की कोशिश नहीं की। एक बार तो किसी कार्यक्रम में पर्रिकर आम आदमी की तरह कतार में भी खड़े हो गए थे। वह पंक्ति में लगकर खाना खाते थे, अपना काम भी लाइन में लगकर ही करवाते थे।
मनोहर पर्रिकर को फुटबॉल खेलना पसंद था। जब कभी वक्त मिलता था तो वो फुटबॉल के ग्राउंड में खिलाड़ियों के बीच पहुंच जाते थे।
मनोहर पर्रिकर हमेशा ट्रेन में इकोनॉमी क्लास में सफर करते थे। कई बार तो वो जनरल डिब्बे में खुली खिड़की के सामने बैठकर आम यात्री की तरह सफर करते कैमरे में कैद किए गए थे।
मनोहर पर्रिकर अपने स्वभाव के चलते बच्चों में भी बेहद लोकप्रिय थे। कई बार बच्चे उन्हें घेर लिया करते थे तो वो भी बच्चों को निराश नहीं करते थे। मनोहर पर्रिकर ने कभी जातिगत राजनीति नहीं की, वह गोवा के हर वर्गों में लोकप्रिय थे, उनके पास जो भी समस्या लेकर आते थे, उस पर गंभीरता से विचार करते थे। मनोहर पर्रिकर का राजनीतिक जीवन उपलब्धियों से भरा रहा। आखिरी वक्त तक वो बीमारी से लड़ते हुए भी मुख्यमंत्री बने रहे। गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर की सादगी और आखिरी वक्त तक जज्बे के साथ देश सेवा के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा। पर्रिकर के निधन से पूरा देश गमगीन है।