नई दिल्ली (एजेंसी)। सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग ने शुक्रवार को 50 फीसदी वीवीपैट पर्चियों के ईवीएम से मिलान की मांग वाली याचिका के जवाब में कहा कि इससे लोकसभा चुनाव के नतीजों में देरी होगी। विपक्षी दलों की इस याचिका पर आयोग ने कहा कि इसके लिए न सिर्फ बड़ी तादाद में सक्षम स्टाफ की जरूरत होगी बल्कि बहुत बड़े मतगणना हॉल की भी आवश्यकता होगी। जबकि इनकी कुछ राज्यों में पहले से ही कमी है। अगर विपक्षी दलों की ईवीएम और वीवीपैट पर्चियों का मिलान 50 फीसदी तक बढ़ाने की मांग मान ली गई तो चुनाव के नतीजे पांच दिन की देरी से आ सकते हैं।
बता दें 21 विपक्षी दलों के नेताओं ने कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इसमें उन्होंने एक निर्वाचन क्षेत्र में कम से कम 50 फीसदी वीवीपैट पर्चियों का मिलान किए जाने की मांग की थी। ताकि चुनावी प्रक्रिया की शुद्धता बनी रहे। जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से विचार करने को कहा था।
चुनाव आयोग ने अपने जवाब में कहा है कि अगर सभी संसदीय या विधानसभा क्षेत्र की 50 फीसदी वीवीपैट पर्चियों का मिलान किया जाए तो इनकी गिनती करने में काफी वक्त लग जाएगा। माना जा रहा है कि इसमें कम से कम पांच दिन लग जाएंगे। जिससे लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजों की घोषणा 23 मई के स्थान पर 28 मई को हो पाएगी।
चुनाव आयोग ने कोर्ट में कहा है कि ऑटोमैटिक रूप से पर्चियों के मिलान का कोई तरीका नहीं है। चुनाव आयोग के मुताबिक कई और भी चुनौतियां हैं।
फिलहाल चुनाव आयोग हर क्षेत्र से कोई भी एक ईवीएम चुनकर उसकी पर्चियों का मिलान करता है। अभी देश में कुल 10.35 लाख मतदान केंद्र हैं। वहीं एक विधानसभा सीट में औसतन 250 मतदान केंद्र हैं। आयोग ने कहा है कि एक मतदान केंद्र पर वीवीपैट गिनती में एक घंटे का वक्त लग जाता है। अगर इसे 50 फीसदी तक बढ़ा दिया जाए तो इसमें औसतन 5.2 दिन लगेंगे।
ये याचिका विपक्षी दलों की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने दायर की थी। उनका कहना है कि ऐसा करने से चुनाव परिणाम की घोषणा में तीन से चार घंटे की देरी होगी। लेकिन लोगों का चुनाव प्रक्रिया पर भरोसा बढ़ेगा।