नई दिल्ली (एजेंसी)। निजी और डीम्स यूनिवर्सिटीज अब पीजी मेडिकल और डेंटल कोर्सेज की खाली 603 सीटें नहीं भर पाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में शुक्रवार को फैसला दिया है। इसके अनुसार, तय काउंसलिंग शेड्यूल के बाद अगर इन कॉलेजों में सीटें खाली रह जाती हैं, तो उसे भरने के लिए काउंसलिंग शेड्यूल आगे नहीं बढ़ाई जा सकेगी। बता दें कि डीम्ड यूनिवर्सिटीज ने कोर्ट में कहा था कि उनके यहां पीजी मेडिकल कोर्सेज में सीटें खाली हैं। अगर स्ट्रे वेकेंसी काउंसलिंग का समय बढ़ाया जाता है तो ये सीटें भर पाएंगी। इसके लिए एजुकेशन प्रमोशन सोसाइटी ऑफ इंडिया ने याचिका दायर की थी।
इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस दीपक गुप्ता और सूर्यकांत की बेंच ने गुरुवार को फैसला सुरक्षित रखा था।
सोसाइटी की तरफ से वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने दलील दी थी कि पहले भी कोर्ट ने एडमिशन के तय शेड्यूल में बदलावों की अनुमति दी है। काउंसलिंग प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद भी इसका समय बढ़ाने का भी मौका दिया गया है। उन्होंने कहा कि देश में डॉक्टरों की कमी है। ऐसे में मेडिकल व डेंटल की सीटें भरने से हालात कुछ हद तक तो सुधर सकेंगे।
इस पर कोर्ट ने कहा कि डॉक्टर्स के हाथ में लोगों की जिंदगी होती है। ऐसे में मेडिकल में दाखिले के लिए एक तय कट-ऑफ और मेरिट सीमा होनी जरूरी है।
बता दें कि पीजी मेडिकल कोर्सेज में दाखिले के लिए काउंसलिंग की प्रक्रिया 31 मई 2019 को पूरी हो चुकी है। सोसाइटी के अनुसार, इसके लिए 27 मई से 31 मई तक का समय बढ़ाया गया था, ताकि स्ट्रे वेकेंसी राउंड में पीजी की सीटें भरी जा सकें। लेकिन यह समय काफी नहीं था।