नई दिल्ली(एजेंसी): एक ओर नगर निगम के अस्पतालों के डॉक्टर कई महीनों से तनख्वाह न मिलने को लेकर हड़ताल पर हैं, तो वहीं दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम में फंड को लेकर विवाद जारी है. सोमवार को नगर निगम के तीनों मेयर सीएम आवास के बाहर धरने पर बैठ गये तो आज मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने नगर निगम पर जमकर हमला बोला. केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार ने संविधान के हिसाब से जितना पैसा बनता था उतना दे दिया. केंद्र सरकार को ग्रांट का 12 हज़ार करोड़ रुपया दिल्ली नगर निगम को देना है.
डॉक्टर्स की हड़ताल का ज़िक्र करते हुए केजरीवाल ने कहा कि नगर निगम के कुछ डॉक्टर हड़ताल पर बैठे हैं, उनको कई महीने से तनख्वाह नहीं मिली. यह हम सब लोगों के लिए शर्म से डूब मरने वाली बात है. जिन डॉक्टरों ने कोरोना के टाइम पर अपनी जान की बाजी लगाकर हमारे परिवार और हमारी रक्षा की, हमारी सेवा की उनको कई-कई महीने तक तनख्वाह ना मिले यह ठीक नहीं है. यह बहुत संवेदनशील मामला है. इस मुद्दे पर बिल्कुल राजनीति नहीं होनी चाहिए. सब का प्रयास यह होना चाहिए कि उन डॉक्टर्स को उनकी तनख्वाह कैसे दिलवाई जाए.
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इस पूरे मामले को मैंने समझने की कोशिश की. पिछले कई सालों से हम देख रहे हैं कि नगर निगम में बार-बार तनख्वाह देने के लाले पड़ जाते हैं. कभी सफाई कर्मचारियों की तनख्वाह नहीं मिली, कभी डॉक्टर्स की तनख्वाह नहीं मिली, कभी शिक्षकों की तनख्वाह नहीं मिली, नगर निगम में इतने पैसों की कमी क्यों हो रही है? यह सोचने वाली बात है. कुछ लोग कह रहे हैं कि दिल्ली सरकार ने पैसा नहीं दिया. मैंने पता किया, एक-एक पैसा जितना बनता था संविधान के मुताबिक उससे 10 रुपये ज़्यादा ही दिया है अब तक हमने.
नगर निगम पर दिल्ली सरकार के लोन का पैसा बकाया होने का ज़िक्र करते हुए केजरीवाल ने कहा कि हमारी सरकार 2015 में आई थी, उससे पहले 2013 में कांग्रेस का शासन था. 2014 में राष्ट्रपति शासन था, बीजेपी की सरकार थी. उन दिनों में जितने पैसे नगर निगम को दिये जाते थे उससे दोगुने-तीन गुना पैसे हमने नगर निगम को देने शुरू किए. वह पैसे कहां गए? दिल्ली सरकार का जितना पैसा बनता था उतना एक-एक पैसा हमने दे दिया नगर निगम को. उल्टा नगर निगम को दिल्ली सरकार का 3800 करोड़ रुपया लोन का वापस करना है. 3000 करोड़ रुपया जल बोर्ड का बिल बकाया है, जो नगर निगम को वापस करना है.
केजरीवाल ने कहा कि केंद्र सरकार पूरे देश में जितने नगर निगम हैं, उनको ग्रांट देती है. 485 रुपये प्रति व्यक्ति के हिसाब से ग्रांट दिया जाता है. पिछले कुछ सालों से दिल्ली के तीनों नगर निगमों को ग्रांट नहीं दिया जा रहा है. पूरे देश में सारे नगर निगमों को ग्रांट मिलती है, दिल्ली को छोड़कर. दिल्ली में सवा दो करोड़ जनसंख्या है 485 रुपये प्रति व्यक्ति के हिसाब से लगभग 1200 करोड़ रुपये प्रति वर्ष बनते हैं, इस हिसाब से 10 साल के 12000 करोड़ रुपये हुए जो केंद्र सरकार को दिल्ली नगर निगम को देने चाहिए.
केजरीवाल ने कहा कि मैं नगर निगम के लोगों से हाथ जोड़कर विनती करना चाहूंगा कि थोड़ा सही से चला ले नगर निगम. इतना भ्रष्टाचार जो नगर निगम में हो रहा है, उससे काम नहीं चल सकता. एक उदाहरण के तौर पर बताना चाहता हूं कि हमने शास्त्री पार्क-सीलमपुर फ्लाईओवर, जो 303 करोड़ में बना था, ढाई सौ करोड़ रुपये में पूरा कर लिया और 53 करोड़ रुपये बचा लिये. डेढ़ साल में फ्लाईओवर पूरा कर दिया. अभी तक 6 साल में जितने फ्लाईओवर बने हैं, हमने हर एक में पैसा बचाया है. वहीं एक और फ्लाईओवर है रानी झांसी फ्लाईओवर जो नगर निगम ने बनाया था. 2006 में शुरू हुआ था 2010 में पूरा होना था. 2010 के बजाय 2018 में जाकर बनकर तैयार हुआ. 14 साल लगा दिए एक फ्लाईओवर बनाने में. 178 करोड़ रुपये का फ्लाईओवर बनना था 750 करोड़ रुपये का फ्लाईओवर बनकर पूरा हुआ. एक फ्लाईओवर में साढ़े 5 सौ करोड़ रुपये ज्यादा लगा दिए. कहां गए यह पैसे सबको पता है. ऐसे घाटे में ही चलेगा नगर निगम फायदे में नहीं. आपको भ्रष्टाचार कम करना पड़ेगा. 12 हज़ार करोड़ कुल बजट है, 6 हज़ार करोड़ रुपये तनख्वाह का देना होता है, तो तनख्वाह क्यों नहीं देते. बहुत दुख हो रहा है कि डॉक्टर को हड़ताल पर बैठना पड़ रहा है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली सरकार भी कोरोना के समय में घाटे में चल रही है, बिल्कुल टैक्स नहीं आ रहा है. लेकिन फिर भी हम लोग किसी तरह से अपना बन्दोबस्त करके काम चला रहे हैं. अभी तक हमने तनख्वाह की किल्लत नहीं होने दी. समय पर तनख्वाह दे रहे हैं. हम रो नहीं रहे कि पैसे नहीं दिए, जो पैसा आ रहा है, उसको ठीक से मैनेज कर रहे हैं. अगर दिल्ली सरकार के पास पैसा होता तो मैं आज ही चाहे संविधान में लिखा होता है या नहीं, आज ही जाकर डॉक्टर्स की तनख्वाह दे आता. केंद्र सरकार से अपील करना चाहूंगा कि डॉक्टर्स बहुत तकलीफ में हैं, बहुत महीनों से उन्हें तनख्वाह नहीं मिली है.