नई दिल्ली(एजेंसी): कोरोना संकट और चीन से तनातनी के बीच बीजेपी और कांग्रेस के बीच में चल रही राजनीतिक लड़ाई और भी तेज हो गई है. केंद्र सरकार ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को दिल्ली के लोधी एस्टेट स्थित सरकारी बंगला छोड़ने का नोटिस थमा दिया है. सूत्रों के मुताबिक, वह निर्धारित समय के भीतर आवास खाली कर देंगी. प्रियंका को ये बंगला 21 फरवरी, 1997 में अलॉट किया गया था. प्रियंका इस बंगले के लिए 37 हजार रुपये प्रति महीने का किराया दे रही हैं.
प्रियंका को एसपीजी सिक्योरिटी मिली हुई थी इसलिए ये बंगला मिला हुआ था. लेकिन उनको मिली एसपीजी सिक्योरिटी पहले ही हटाई जा चुकी है. साल 2000 में ये नियम बना था कि अगर एसपीजी सुरक्षा नहीं है, तो उसे सरकारी बंगला नहीं दिया जाएगा.
सरकार ने अपने आदेश में कहा है कि गृह मंत्रालय ने 30 जून के अपने पत्र में सूचित किया है कि प्रियंका गांधी को सीआरपीएफ कवर के साथ ‘जेड प्लस’ सुरक्षा अखिल भारतीय स्तर पर मुहैया कराई गई है, जिसमें सरकारी आवास के आवंटन या उसे बरकरार रखने का कोई प्रावधान नहीं है. इसके मद्देनजर वह किसी सरकारी आवास की हकदार नहीं हैं और उनके आवंटन को डायरेक्टोरेट ऑफ एस्टेट ने एक महीने के अंदर आवास खाली करने के निर्देश के साथ एक जुलाई, 2020 को रद्द कर दिया है.
कांग्रेस ने सरकार के इस आदेश को नफरत और बदले की राजनीति करार दिया है. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार बदले की भावना में अंधी हो गई है. रणदीप सुरजेवाला ने एक वीडियो मैसेज जारी करते हुए कहा, ”यूपी में प्रियंका जी की राजनीतिक सक्रियता से हतोत्साहित मोदी सरकार ने घर खाली करने का नोटिस जारी कर दिया. इस तरह के कुंठित प्रयास हमें दुखी नहीं करेंगे.”
वहीं बिहार कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर बदले की कार्रवाई करने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह तानाशाही है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और बिहार युवक कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ललन कुमार ने सरकार के इस आदेश पर भड़कते हुए कहा कि प्रियंका गांधी की कार्यशैली से विचलित होकर नरेंद्र मोदी सरकार बदले की भावना से कार्य कर रही है.