नई दिल्ली (एजेंसी)| समाजसेवी और भ्रष्टाचार के विरोधी अन्ना हजारे ने सोमवार को कहा कि अगर लोकपाल विधेयक लागू हो गया होता तो राफेल जैसा घोटाला नहीं होता। अन्ना ने लोकपाल और लोकायुक्त का गठन करने और किसानों की कर्जमाफी समेत विभिन्न मांगों को लेकर एक बार फिर बेमियादी भूख-हड़ताल की घोषणा की है। वह 30 जनवरी से अपने गांव रालेगण सिद्धि में भूख-हड़ताल पर बैठेंगे।
अन्ना ने कहा कि उनको समझ में नहीं आता है कि जो कंपनी मार्च में बनी, उसे अप्रैल में बगैर किसी पूर्व अनुभव के ठेका कैसे दे दिया गया। उन्होंने कहा, ‘मेरे पास राफेल के संबंध में कुछ कागजात हैं और मैं उसका अध्ययन करूंगा, फिर मसले को उठाऊंगा।’
अन्ना ने भूख-हड़ताल का ऐलान करते हुए कहा कि वह लोकपाल और लोकायुक्त के गठन की मांग को लेकर 30 जनवरी से अपने गांव रालेगण सिद्धि में अंतिम सांस तक उपवास रखने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार लोकपाल विधेयक पर संवैधानिक संस्थाओं के फैसले की उपेक्षा कर रही है और देश को तानाशाही की ओर ले जा रही है। उन्होंने कहा, ‘देश को लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर चलाने के लिए संवधानिक संस्था के तौर पर संसद बनाई गई है। लोकसभा और राज्यसभा दोनों ने लोकपाल विधेयक को पारित किया है, जिसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने बार-बार लोकपाल के बारे में पूछा है। इसके बावजूद आपकी सरकार लोकपाल की नियुक्ति करने को तैयार नहीं है।’
अन्ना ने कहा, ‘यह कैसी सरकार है, जो संवैधानिक संस्थाओं की भी नहीं सुनती है? बनिए की दुकान और सरकार में क्या अंतर है? सरकार संवैधानिक संस्थाओं के फैसले को लागू नहीं कर रही है और देश को लोकतंत्र से तानाशाही की ओर ले जा रही है। मेरा मानना है कि इससे हमारे लोकतंत्र को खतरा है।
लोकपाल विधेयक राज्यसभा में 17 दिसंबर, 2013 में पारित हुआ था और लोकसभा में इसे 18 दिसंबर, 2013 को पारित कर दिया गया था। राष्ट्रपति ने एक जनवरी, 2014 को लोकपाल और लोकायुक्त कानून पर अपनी मुहर लगा दी थी।