रायपुर : अघोर महोत्सव, 25 जून तक सुमेरु मठ में होगा आयोजित

अघोर महोत्सव : बाबा श्री प्रचंडवेग द्वारा आत्म जागृति साधना सहित कराए जाएंगे विभिन्न योग

रायपुर.  महागुरु बाबा श्री औघड़नाथ के प्राकट्य दिवस के उपलक्ष्य व धरती माता के रजस्वला काल में आज से 25 जून की रात्रि तक अघोर महोत्सव आयोजित है। अघोर महोत्सव सुमेरु मठ, श्री औघड़नाथ दरबार, प्रोफेसर कालोनी पुरानी बस्ती में आयोजित है। इस उपलक्ष्य में “श्री साधना यज्ञ” संपन्न होने जा रहा है। अघोर महोत्सव में सुमेरु मठ के पीठाधीश बाबा श्री प्रचंडवेग द्वारा अघोर ध्यान योग, ध्यान योग, आत्म जागृति साधना के साथ-साथ विभिन्न योग कराए जा रहे हैं। शक्ति अर्जन आराधना के इस महापर्व में सम्मिलित हो साधना संपन्न कर योगबल प्राप्त किया जा सकता है।

वर्ष का यह ही समय है जब प्रकृति में विशष्ट उर्जामय हलचल होती है, जिसके परिणाम स्वरूप आसाम प्रदेष की राजधानी गुवाहाटी के नीलांचल पहाड़ी में स्थित कामाख्या सिद्ध योनि शक्तिपीठ में रजस्वला की प्रतिक्रिया घटित होती है। इस सुअवसर पर सिद्ध योग परंपरा के संत योनिपीठ क्षेत्र में इन दिनों विशिष्ट यौगिक क्रियाओं के द्वारा योगबल अर्जन करते हैं, जो कि अब तक बहुत गोपनीय साधना रही है। इस कारण सामान्य जन इस शक्ति आराधना व अर्जन के प्रति अब तक अनभिज्ञ होने के कारण इस विशिष्ट अवसर का आत्मिक लाभ लेने से वंचित रहे हैं।

अघोर पंथ के परमगुरु सिमरान समाज के संस्थापक बाबा श्री औघड़नाथ जी ने अघोर महोत्सव के रूप में ऐसा सुअवसर सामान्य जनों को प्रदान किया है, जिसमें अपने अंतःकरण से संलग्न हो, प्रत्येक व्यक्ति आत्मिक उत्थान को प्राप्त कर सकते हैं।

पूरा गुंबद ही श्रीयंत्र

प्रोफेसर कॉलोनी का श्रीधाम, शहर में अघोरियों का इकलौता केंद्र और पहला ऐसा मठ जिसका पूरा गुंबद ही श्रीयंत्र से बना है। इनमें 43 तिकोनों के जरिए श्रीयंत्र को उकेरा गया है। हर तिकोने में एक पारद शिवलिंग स्थापित है। सवा 37 फुट लंबा-चौड़ा और 30 फुट ऊंचा यह यंत्र काफी दूर से भी दिखाई देता है। मठ में चौबीसों घंटे सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह के लिए ऐसा निर्माण करवाया गया है।

पारद शिवलिंग

श्रीधाम की गुंबद और गर्भगृह, दोनों जगहों पर पारद शिवलिंग की स्थापना की गई है। दरअसल, शिवलिंग कई धातुओं से बनाए जाते हैं। इनमें चांदी, पत्थर आदि शामिल हैं, लेकिन सभी शिवलिंगों में पारद शिवलिंग यानी पारा से बने शिवलिंग को सर्वश्रेष्ठ शिवलिंग माना गया है। मठ में भगवान शिव की रसेश्वर महादेव के रूप में पूजा की जाती है। विशेष मौकों पर होने वाली साधना और अनुष्ठानों में शामिल होने यहां शिव भक्ताें का तांता भी लगता है।

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